साल 2016 में पाकिस्तान (Pakistan) के खिलाफ की गई सर्जिकल स्ट्राइक (Surgical strike) की अगुवाई करने वाले पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुड्डा (DS Hooda) ने कहा है कि सेना के हाथ कभी भी बंधे हुए नहीं थे. हुड्डा ने कहा कि मोदी सरकार ने जरूर सेना को सीमा पार हमला करने की इजाजत देने में बड़ा संकल्प दिखाया, लेकिन इससे पहले भी सेना को कभी रोका नहीं गया.
डी एस हुड्डा ने गोवा में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान ये बात कही. उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार ने सीमा पार जाकर सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट में हवाई हमले की अनुमति देने में निश्चित रूप से महान राजनीतिक संकल्प दिखाया है. लेकिन इससे पहले भी आपकी सेना के हाथ नहीं बंधे थे.' हुड्डा ने कहा कि आजादी के बाद साल 1947 से सेना सीमा पर स्वतंत्र है. लेकिन पिछले कुछ समय में सेना को छूट देने की बातें काफी हुई है.
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डीएस हुड्डा ने कहा कि 'नियंत्रण रेखा एक खतरनाक जगह है क्योंकि जैसा कि मैंने कहा कि आपके ऊपर गोलीबारी की जा रही है और जमीन पर सैनिक इसका तुरंत जवाब देंगे. वे (सैनिक) मुझसे भी नहीं पूछेंगे. कोई अनुमति लेने का कोई सवाल ही नहीं है. सेना को खुली छूट दी गई है. कोई विकल्प नहीं है.'
गौरतलब है कि बीजेपी लंबे समय से सेना को खुली छूट देने की बात कह रही है. साथ ही बीजेपी का कांग्रेस पर आरोप रहा है कि उन्होंने अपने कार्यकाल में सेना को बांध कर रखा था. इससे पहले सेना के एक पूर्व अधिकारी ने कहा था कि मुंबई में 26 नवंबर 2008 को हुए आतंकी हमले के बाद ही भारतीय सेना पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई करने की योजना बना रही थी लेकिन तत्कालीन यूपीए सरकार ने इसकी इजाजत नहीं दी गई थी.