Surgical Strike Anniversary: जब उरी हमले का यूं जवाब दिया भारतीय जांबाजों ने पाक को!

18 सितंबर 2016, प्रातःकाल 5 बजे उरी में आतंकियों के हमले में 17 शहीद हुए भारतीय सैनिकों की चिताएं अभी ठंडी भी नहीं हुई थीं कि भारतीय सेना ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में घुसकर ऐसा मुंहतोड़ जवाब दिया कि न केवल पाक सरकार हिल गयी, बल्कि आतंकियों के भी हौसले पस्त हो गये. इस सर्जिकल स्ट्राइक के जरिये भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तानी सैनिकों को चेता दिया कि अगर उन्होंने भारत की तरफ दुबारा आंख उठाकर देखने की भी कोशिश की तो अंजाम और भयानक होगा

भारतीय सेना (Photo Credits: Twitter)

18 सितंबर 2016, प्रातःकाल 5 बजे उरी में आतंकियों के हमले में 17 शहीद हुए भारतीय सैनिकों की चिताएं अभी ठंडी भी नहीं हुई थीं कि भारतीय सेना ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में घुसकर ऐसा मुंहतोड़ जवाब दिया कि न केवल पाक सरकार हिल गयी, बल्कि आतंकियों के भी हौसले पस्त हो गये. इस सर्जिकल स्ट्राइक के जरिये भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तानी सैनिकों को चेता दिया कि अगर उन्होंने भारत की तरफ दुबारा आंख उठाकर देखने की भी कोशिश की तो अंजाम और भयानक होगा. हैरानी की बात यह कि इस पूरे सर्जिकल स्ट्राइक में एक भी भारतीय सैनिक को खरोंच तक नहीं आई. और आतंकियों के सात ठिकाने आतंकियों समेत नष्ट हो गये. आज देश इस सर्जिकल स्ट्राइक की चौथी वर्षगांठ मना रहा है. आखिर क्या था पूरा माजरा? आइये देखते हैं.

18 सितंबर 2016 की प्रातःकाल 5 बजे उरी सेक्टर स्थित आर्मी हेड क्वार्टर पर सैनिक रात की ड्यूटी से थककर नींद पूरी कर रहे थे. अचानक दो-दो के ग्रुप में आये आतंकियों ने इन सोते हुए सैनिकों पर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरु कर दी. इस फायरिंग में 17 भारतीय सैनिक मारे गये. इसके बाद आतंकियों की बटालियन हेडक्वार्ट्स के प्रशासनिक ब्लॉक स्थित मेडिकल एड युनिट में हमला कर अंत में ऑफिसर्स मेस में घुसकर खुद को उड़ा देने की योजना थी. लेकिन तब तक भारतीय सेना सतर्क हो चुकी थी, उसने चारों आतंकवादियों को प्रशासनिक ब्लॉक में ही मार गिराया. चारों आतंकी जैश-ए-मोहम्मद के थे, जिन्हें पाकिस्तानी सेना ने पीओके के सवाई नाला कैंप में प्रशिक्षण दिया गया था. यह भी पढ़े-सर्जिकल स्ट्राइक पर पहला 3D एक्शन गेम ‘SURGICAL STRIKE – BORDER ESCAPE’ लॉन्च, अपनी पसंदीदा भाषा में यहां से करें डाउनलोड

17 भारतीय सैनिकों की इस तरह हत्या के बाद हर भारतीयों के खून खौल रहे थे, वे तत्काल सेना के शहीदों की मृत्यु का बदला लेने की मांग कर रहे थे. उधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल अपने नेतृत्व में एक बेहद खुफिया सर्जिकल स्ट्राइक की योजना बनाने में व्यस्त थे. अंततः योजनानुसार 28 सितंबर की अमावस्या की काली रात का समय निर्धारित किया गया. 9 पैरा कमांडो की 5 क्रैक टीम ने मिशन की शुरुआत रात साढे बारह बजे किया. लक्ष्य था एलओसी के 2 से 3 किमी के दायरे में पाक अधिकृत कश्मीर में सक्रिय 7 आतंकवादियों ठिकानों भिंबर, हॉट स्प्रिंग, तत्तापानी, केल और लीपा को नेस्तनाबूद कर दिया जाये.

28-29 सितंबर की मध्‍य रात्रि के आसपास एक मेजर के नेतृत्‍व में सेना की एक टीम ने पहले टारगेट पर हमला किया. इस टीम का टारगेट था आतंकी ढांचे को नष्‍ट करना. यह ऑपरेशन पूरी तरह सफल रहा. इससे एक दिन पहले यानी 27 सितंबर को टारगेट पर नजर रखने की जिम्मेदारी दूसरी टीम को दी गयी थी. इस टीम को एलओसी पारकर सर्विलांस का काम करना था. अमुक समय पर टीम ने पूरे टारगेट एरिया की मैपिंग करते हुए अत्याधुनिक हथियारों के ठिकाने को नष्‍ट कर दिया. इस दौरान कई आतंकी मारे गये. तीसरी टीम के मेजर की टीम ने आतंकियों के ट्रेनिंग बेस पर हमला किया. वहां सोते हुए सभी आतंकियों को पलक झपकते भून दिया गया. यह टीम कंट्रोल रूम में अपने उच्‍च अधिकारियों को भी ऑपरेशन के बारे में पूरी जानकारी दे रही थी. चौथे मेजर की टीम ने आतंकियों के ठिकाने पर ग्रेनेड हमला कर उनके खतरनाक ऑटोमेटिक हथियारों को नष्‍ट कर दिया. मेजर ने दो आतंकियों को करीब जाकर गोली से उड़ा दिया. हालांकि इस टीम को काफी जोखिम उठाना पड़ा, क्‍योंकि इस समय तक आतंकियों ने मोर्चा संभाल लिया था. दो आतंकी आरपीजी (रॉकेट प्रोपेल्‍ड ग्रेनेड) से चौथी टीम पर हमला करने ही वाले थे कि चौथी टीम की सुरक्षा के लिए तैनात पांचवें मेजर ने बिना विलंब किये दोनों आतंकियों को मार गिराया. यह सैन्य कार्रवाई रात साढ़े बारह बजे शुरु किया गया, और सुबह सूर्य निकलने से पूर्व 4.30 बजे मिशन को अंजाम देकर सेना सुरक्षित भारतीय सीमा में प्रवेश कर चुकी थी.

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