गिरफ्तारी से बचने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी के सामने रखी अनोखी डील, जानें क्या है पूरा मामला
प्रतिकात्मक तस्वीर (Photo Credits ANI)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आज एक सरकारी कर्मचारी को गिरफ्तारी से सुरक्षा देने के लिए उसके सामने एक अनोखी डील रखी है. सुप्रीम कोर्ट महाराष्ट्र राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी (Maharashtra State Electricity Generation Company) के एक तकनीशियन मोहित सुभाष चव्हाण (Mohit Subhash Chavan) के जमानत अनुरोध पर सुनवाई कर रही थी. उन पर एक स्कूल की छात्रा के साथ बलात्कार और गंभीर POCSO (प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस) कानून के तहत आरोप लगाए गए हैं. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एसए बोबडे (Chief Justice of India SA Bobde) ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा, "अगर आप शादी करना चाहते हैं तो हम आपकी मदद कर सकते हैं. और अगर नहीं तो आप अपनी जॉब खो देंगे और जेल की सजा होगी. जस्टिस बोबड़े ने कहा आपने लड़की के साथ छेड़खानी की, उसके साथ बलात्कार किया.

याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि जब लड़की पुलिस के पास गई थी, तब उसकी मां ने शादी की पेशकश की थी. लेकिन उसने कथित तौर पर मना कर दिया था. फिर एक दस्तावेज बनाया गया कि लड़की के 18 साल की हो जाने के बाद उसकी शादी होगी. लेकिन लड़की ने शादी करने से इनकार कर दिया. चव्हाण द्वारा दायर याचिका के अनुसार, उसके खिलाफ बलात्कार की शिकायत दर्ज की गई थी. यह भी पढ़ें: यदि पति का वेतन बढ़ता है, तो पत्नी भी गुजारा भत्ता में वृद्धि की हकदार है- हरियाणा उच्च न्यायालय

मुख्य न्यायाधीश ने आरोपी व्यक्ति से पूछा: "क्या आप उससे शादी करेंगे?" चव्हाण के वकील ने जवाब दिया: "निर्देश लेंगे." मुख्य न्यायाधीश ने कहा: "आपको लड़की के साथ छेड़खानी और बलात्कार करने से पहले सोचना चाहिए था'. आप जानते थे कि आप एक सरकारी कर्मचारी हैं. "हम आपको शादी करने के लिए मजबूर नहीं कर रहे हैं, अन्यथा आप कहेंगे कि हम आपको उससे शादी करने के लिए मजबूर कर रहे हैं."

आरोपी के वकील ने कहा कि वह अपने मुवक्किल से सलाह लेने के बाद जवाब देगा. बाद में, उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से कहा, "शुरू में मैं उससे शादी करना चाहता था, लेकिन उसने मना कर दिया. अब मैं ऐसा नहीं कर सकता क्योंकि मैं शादीशुदा हूं." यह भी पढ़ें: POCSO एक्ट के तहत पैंट की ज़िप खोलना 'सेक्शुअल असॉल्ट नहीं- बॉम्बे हाईकोर्ट

उन्होंने यह भी कहा कि मुकदमा चल रहा था और आरोप तय नहीं किए गए थे. उन्होंने कहा, "मैं एक सरकारी कर्मचारी हूं और अगर मुझे गिरफ्तार किया जाता है तो मैं अपने आप निलंबित हो जाऊंगा." चीफ जस्टिस बोबड़े ने कहा, "इसीलिए हमने आपको यह अभयदान दिया है. हम गिरफ्तारी पर चार सप्ताह तक रोक लगाएंगे. फिर आप नियमित जमानत के लिए आवेदन करें."

ट्रायल कोर्ट ने चव्हाण को गिरफ्तारी से सुरक्षा दे दी थी, लेकिन उच्च न्यायालय ने इसे रद्द कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसे चार सप्ताह तक गिरफ्तार नहीं किया जाएगा और वह नियमित जमानत के लिए आवेदन कर सकता है.