शादी का वादा कर आपसी सहमति से बनाया गया हर शारीरिक संबंध रेप नहीं: सुप्रीम कोर्ट

देश की सर्वोच्च न्यायालय ने अहम फैसला सुनाते हुए कहा है कि शादी (Marriage) करने का हर नाकाम वादा रेप (Rape) नहीं कहा जा सकता है. कोर्ट ने कहा कि यदि कोई महिला किसी पुरुष के साथ लंबे समय तक शारीरिक संबंध बनाए रखना चाहती है, यह जानने के बावजूद कि उसकी शादी में आगे चलकर बंधाएं आने वाली है.

सुप्रीम कोर्ट (Photo Credits: PTI/File Image)

नई दिल्ली: देश की सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने अहम फैसला सुनाते हुए कहा है कि शादी (Marriage) करने का हर नाकाम वादा रेप (Rape) नहीं कहा जा सकता है. कोर्ट ने कहा कि यदि कोई महिला किसी पुरुष के साथ लंबे समय तक शारीरिक संबंध बनाए रखना चाहती है, यह जानने के बावजूद कि उसकी शादी में आगे चलकर बंधाएं आने वाली है. तो ऐसे हालात में पुरुष के खिलाफ रेप का मामला नहीं बनता है.

जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदिरा बनर्जी की बेंच ने सेल्स टैक्स में असिस्टेंट कमिश्नर महिला की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह बात कही है. दरअसल महिला ने सीआरपीएफ में डेप्युटी कमांडेंट के पद पर तैनात अधिकारी पर रेप का केस दर्ज करवाया था. जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है.

शिकायतकर्ता महिला ने सीआरपीएफ के अधिकारी पर आरोप लगाया था कि 2008 में शादी का वादा कर उसने जबरन शारीरिक संबंध बनाए लेकिन बाद में शादी से इनकार कर दिया. दोनों एक दूसरे को 1998 से जानते थे.

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महिला अधिकारी ने अपने शिकायत में कहा कि साल 2014 में अधिकारी ने महिला की जाति के आधार पर शादी करने से मना कर दिया. इसके बाद भी दोनों के बीच साल 2016 तक संबंध थे. इसके बाद 2016 में महिला ने अधिकारी के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज करावाई.

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा दोनों अधिकारी 8 साल से अधिक वक्त तक रिलेशनशिप में थे. इस दौरान कई मौकों पर दोनों एक-दूसरे के घर पर भी रुके जिससे स्पष्ट है कि यह रिश्ता आपसी सहमति से बना था. कोर्ट ने आगे कहा कि वादा करना और किन्हीं परिस्थितियों में उसे निभा नहीं पाना धोखा देना नहीं कह सकते है. कोर्ट ने साथ ही कहा कि महिला को पता था कि आगे उसके इस रिश्ते में कई अड़चनें आने वाली हैं.

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