PIL Against Political Party Symbols: 'इरादा सिर्फ हाथ के चिह्न को रोकने का है', SC ने चुनाव चिह्न में शरीर के अंगों के इस्तेमाल के खिलाफ दाखिल PIL को खारिज किया
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (5 अगस्त) को, शरीर के अंगों को राजनीतिक दलों के प्रतीक के रूप में इस्तेमाल करने के खिलाफ दायर की गई एक जनहित याचिका (PIL) को खारिज कर दिया है. बार एंड बेंच में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, पीआईएल में भारत के चुनाव आयोग (ECI) को राजनीतिक दलों के प्रतीक के रूप में शरीर के अंगों के इस्तेमाल पर रोक लगाने के निर्देश देने की मांग की गई थी.
PIL Against Political Party Symbols: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (5 अगस्त) को, शरीर के अंगों को राजनीतिक दलों के प्रतीक के रूप में इस्तेमाल करने के खिलाफ दायर की गई एक जनहित याचिका (PIL) को खारिज कर दिया है. बार एंड बेंच में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, पीआईएल में भारत के चुनाव आयोग (ECI) को राजनीतिक दलों के प्रतीक के रूप में शरीर के अंगों के इस्तेमाल पर रोक लगाने के निर्देश देने की मांग की गई थी. इस मामले की सुनवाई करते हुए भारत के चीफ जस्टिस (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ ने कहा कि इस याचिका के पीछे की मंशा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) के हाथ चुनाव चिह्न को निशाना बनाने की कोशिश की गई है.
कोर्ट ने कहा कि यह किस तरह की दलील है? कोई आंख नहीं और कोई शरीर का अंग नहीं. इस जनहित याचिका का इरादा केवल हाथ के प्रतीक को रोकने का है. इसके इसे खारिज किया जाता है.
दरअसल, याचिकाकर्ता ने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग से मानव शरीर के अंगों से मिलते-जुलते या एक जैसे दिखने वाले पार्टी प्रतीकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी. चुनाव आयोग द्वारा कार्रवाई न किए जाने के बाद, उसने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. वकील ओमप्रकाश परिहार के माध्यम से दायर की गई जनहित याचिका में कहा गया था कि क्या चुनाव आयोग मानव शरीर के अंगों को प्रतीक के रूप में आवंटित कर सकता है? क्या ऐसा आवंटन भारत के संविधान के अनुच्छेद 324, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, सामान्य खंड अधिनियम और चुनाव संचालन नियमों का उल्लंघन नहीं करता है?