वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने हड़ताली डॉक्टरों की ओर से चिंता व्यक्त की कि अगर वे काम पर लौटते हैं, तो उनके खिलाफ प्रतिशोध की कार्रवाई हो सकती है. उन्होंने कहा कि डॉक्टरों का मानना है कि मामले को दबाने में शामिल कुछ लोग अभी भी पद पर हैं.
इस पर कपिल सिब्बल ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आश्वासन दिया है कि डॉक्टरों के काम पर लौटने पर उनके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी.
मुख्य न्यायाधीश ने मेडिकल कॉलेजों में ठेके पर तैनात सुरक्षा कर्मियों पर संदेह जताया और तर्क किया कि इन संस्थानों में पुलिस कर्मियों की तैनाती सबसे प्रभावी उपाय है.
उन्होंने बताया कि कई छात्राएं सीधे कक्षा 12 के बाद मेडिकल कॉलेजों में आई हैं, इसलिए उन्होंने राज्य के कम से कम 45 मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में पुलिस कर्मियों की तैनाती की सिफारिश की.
CJI ने RG कर अस्पताल में CCTV कैमरों की धीमी स्थापना पर भी चिंता जताई. उन्होंने कहा, “RG कर अस्पताल में CCTV कैमरों की स्थापना धीमी हो रही है. 400 अतिरिक्त कैमरों में से केवल 36 ही लगाए गए हैं. संवेदनशील हिस्सों में बायोमेट्रिक एक्सेस क्यों नहीं हो सकता?”
मुख्य न्यायाधीश ने मेडिकल कॉलेजों में ठेके पर तैनात सुरक्षा कर्मियों पर संदेह जताया और तर्क किया कि इन संस्थानों में पुलिस कर्मियों की तैनाती सबसे प्रभावी उपाय है.
उन्होंने बताया कि कई छात्राएं सीधे कक्षा 12 के बाद मेडिकल कॉलेजों में आई हैं, इसलिए उन्होंने राज्य के कम से कम 45 मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में पुलिस कर्मियों की तैनाती की सिफारिश की.
CJI ने RG कर अस्पताल में CCTV कैमरों की धीमी स्थापना पर भी चिंता जताई. उन्होंने कहा, “RG कर अस्पताल में CCTV कैमरों की स्थापना धीमी हो रही है. 400 अतिरिक्त कैमरों में से केवल 36 ही लगाए गए हैं. संवेदनशील हिस्सों में बायोमेट्रिक एक्सेस क्यों नहीं हो सकता?”
पश्चिम बंगाल में 'डॉक्टर्स फॉर पेशेंट्स' संगठन की ओर से वकीलों ने राज्य सरकार के उस फैसले पर आपत्ति जताई, जिसमें महिला डॉक्टरों के काम के घंटे 12 घंटे तक सीमित करने और रात की ड्यूटी समाप्त करने का प्रस्ताव था.
मुख्य न्यायाधीश ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि महिलाएं रियायतें नहीं, बल्कि समान अवसर चाहती हैं. उन्होंने स्पष्ट किया, "आप महिलाओं को रात में काम न करने के लिए नहीं कह सकते. यह आपका कर्तव्य है कि जब भी वे काम करें, उन्हें सुरक्षा प्रदान करें. महिला पायलट, रक्षा कर्मी आदि भी रात में काम करते हैं."
मुख्य न्यायाधीश ने इस बात पर जोर दिया कि कथित अपराध एक सिविल पुलिस वॉलंटियर द्वारा किया गया था. उन्होंने पूछा, "जूनियर डॉक्टरों की सुरक्षा स्वयं सुरक्षा कर्मियों के खिलाफ कैसे सुनिश्चित होगी?"
इसके जवाब में सिब्बल ने आश्वासन दिया कि उचित सत्यापन किया जाएगा, और सुरक्षा कंपनी के माध्यम से नियुक्ति की जाएगी. उन्होंने कहा कि CISF की तैनाती समाप्त होने के बाद उचित व्यवस्था की जाएगी. इसके अलावा, हर अस्पताल में पुलिस चौकियां मौजूद हैं.
सिब्बल ने 16 सितंबर को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और जूनियर डॉक्टरों के बीच हुई चर्चा की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार CBI की जांच को तेज करने और पीड़िता और उसके परिवार को न्याय दिलाने के लिए हर आवश्यक कदम उठाएगी.
सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि कोलकाता पुलिस आयुक्त, डिप्टी कमिश्नर (उत्तर डिवीजन), चिकित्सा शिक्षा निदेशक (DME) और स्वास्थ्य सेवाओं के निदेशक (DHS) को हटा दिया गया है.
इसके अलावा, अस्पताल के बुनियादी ढांचे के सुधार के लिए ₹100 करोड़ का आवंटन किया गया है. सिब्बल ने कहा, "रोग कल्याण समिति को और समावेशी बनाया जाएगा, और मुख्य सचिव की अध्यक्षता में अस्पताल सुरक्षा को बढ़ाने के लिए एक टास्क फोर्स गठित की जाएगी."
कोलकाता रेप मर्डर केस पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि सीबीआई ने 60 दिनों के भीतर आरोपपत्र क्यों नहीं दाखिल किया? मुख्य न्यायाधीश ने सवाल किया कि मामले में आरोपपत्र 60 दिनों के भीतर क्यों दाखिल नहीं किया गया, जबकि यह अनिवार्य था. सीबीआई की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने स्पष्ट किया कि चूंकि यह बलात्कार और हत्या का मामला है, इसलिए आरोपपत्र दाखिल करने की समयसीमा 90 दिन है.
सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता रेप और मर्डर केस में CBI की रिपोर्ट पर गंभीर चिंता जताई. एक वकील ने फॉरेंसिक साक्ष्यों की जब्ती और संग्रहण में गड़बड़ियों को उजागर किया, जिसमें अपराध स्थल से लिए गए सैंपल्स भी शामिल थे.
मुख्य न्यायाधीश ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि CBI की स्थिति रिपोर्ट में सामने आई बातें इससे भी "खतरनाक" हैं. उन्होंने कहा, "कोर्ट CBI की रिपोर्ट से बेहद परेशान है."
अदालत को यह भी बताया गया कि कोलकाता पुलिस ने केवल 27 मिनट की CCTV फुटेज CBI को सौंपी है. वकील ने आगे बताया कि यह भी संभव है कि किसी ने ‘ब्लॉकर डिवाइस’ का उपयोग किया हो, ताकि "हैश वैल्यू" को बदला न जा सके. इसके अलावा, वकील ने बताया कि जिस सेमिनार कक्ष में कथित रूप से अपराध हुआ, उसकी CCTV फुटेज में केवल एक ही तरफ का दृश्य है, जबकि लोग दूसरी तरफ से निकल सकते थे.
सुप्रीम कोर्ट ने विकिपीडिया को निर्देश दिया है कि वह कोलकाता रेप और मर्डर केस की पीड़िता का नाम और फोटो हटा दे. मुख्य न्यायाधीश ने आदेश में कहा, "पीड़िता की गरिमा और निजता बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है कि बलात्कार और हत्या के मामले में पीड़िता की पहचान का खुलासा न किया जाए." सुप्रीम कोर्ट ने विकिपीडिया को इस संबंध में पहले दिए गए निर्देशों का पालन करने का आदेश दिया.
Supreme Court RG Kar Medical College Hospital Rape-Murder Case Live Updates: पिछले 38 दिनों से कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (RG Kar Medical College Hospital) में एक पीजी डॉक्टर के कथित बलात्कार और हत्या के मामले (Kolkata Rape Murder Case) को लेकर जूनियर डॉक्टरों का विरोध जारी है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुओ मोटो संज्ञान लेकर सुनवाई फिर से शुरू की है.
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 9 सितंबर को सुनवाई के दौरान जूनियर डॉक्टरों को 10 सितंबर शाम 5 बजे तक ड्यूटी पर वापस जाने का अल्टीमेटम दिया था. हालांकि, डॉक्टरों ने कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया और उनके विरोध प्रदर्शन जारी रहे. ममता बनर्जी सरकार ने डॉक्टरों से बातचीत करने का प्रयास किया लेकिन कोई सफलता नहीं मिली.
सुप्रीम कोर्ट ने FIR दर्ज करने में “कम से कम 14 घंटे की देरी” पर भी चिंता व्यक्त की और एक महत्वपूर्ण दस्तावेज, चालान, की अनुपस्थिति पर प्रकाश डाला. यह चालान आमतौर पर पोस्टमार्टम के लिए शरीर के साथ भेजा जाता है. इसी वजह से, सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को अगली सुनवाई में चालान पेश करने का आदेश दिया.
सोमवार (16 सितंबर, 2024) को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने विरोध कर रहे डॉक्टरों की मांगों को स्वीकार करते हुए घोषणा की कि कोलकाता पुलिस कमिश्नर विनीत कुमार गोयल, कोलकाता पुलिस के डिप्टी कमिश्नर (उत्तर) और स्वास्थ्य विभाग के दो वरिष्ठ अधिकारियों का तबादला कर दिया जाएगा.
विरोध कर रहे जूनियर डॉक्टरों ने इस फैसले को अपनी 31 वर्षीय मृत सहकर्मी के लिए न्याय की मांग में एक बड़ी जीत और मील का पत्थर बताया.
हालांकि, डॉक्टरों ने कहा कि वे आश्वासन के कार्यान्वयन पर निगरानी रखेंगे और अन्य अस्पतालों के विरोध कर रहे डॉक्टरों से सलाह करने के बाद ही अपनी सेवाएं फिर से शुरू करेंगे. यह फैसला मुख्यमंत्री और लगभग 40 डॉक्टरों के प्रतिनिधिमंडल के बीच उनके निवास स्थान पर हुई बैठक के बाद आया है.
इस घटनाक्रम से कोलकाता में डॉक्टरों का विरोध कम होने की उम्मीद है. हालांकि, इस घटना के बाद भी अस्पतालों में पर्याप्त डॉक्टरों की कमी से स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं.