नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करने के लिए न्यायाधीश अरुण मिश्रा (Justice Arun Mishra) की निंदा की और इस संबंध में एक प्रस्ताव पारित किया. दरअसल न्यायाधीश मिश्रा ने बीते सप्ताह अंतर्राष्ट्रीय न्यायिक सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ की थी.
एससीबीए का कहना है कि इस तरह के बयान न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर बुरा प्रभाव डालते हैं. सुप्रीम कोर्ट में वरीयता क्रम में तीसरे स्थान के न्यायाधीश ने शनिवार को मोदी की तारीफ करते हुए कहा था कि वह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित दूरदृष्टा और बहुमुखी प्रतिभा वाले नेता हैं, जो वैश्विक स्तर की सोच रखते हैं, लेकिन स्थानीय हितों को ध्यान में रखते हुए काम करते हैं.
वकीलों के निकाय ने एक बयान में कहा कि पीड़ा और चिंता की गहरी भावना के साथ इन टिप्पणियों पर संज्ञान लिया गया है.
एससीबीए ने अपने बयान में कहा, "एससीबीए बयान पर संज्ञान लेता है और इसकी कड़ी निंदा करता है. एससीबीए का मानना है कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता संविधान के अंतर्गत मूल संरचना है और इस भावना को पूरी तन्मयता के साथ संरक्षित रखा जाना चाहिए."
बयान के अनुसार, "एससीबीए संविधान और न्यायपालिका में अपने विश्वास को दोबारा जाहिर करता है और न्याय के प्रशासन से इसी भावना के साथ काम करने का आह्वान करता है." बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने भी सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश द्वारा प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा वाले बयान की निंदा की है.