सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, महिलाओं के लिए खुले सबरीमाला मंदिर के दरवाजे

केरल के सबरीमाला मंदिर में विराजमान भगवान अयप्पा (Sabarimala Temple) को ब्रह्मचारी माना जाता है. साथ ही, सबरीमाला की यात्रा से पहले 41 दिन तक कठोर व्रत का नियम है.

सुप्रीम कोर्ट और सबरीमाला मंदिर (File Photo)

नई दिल्ली: देश की सबसे बड़ी अदालत (Supreme Court) ने केरल के सबरीमाला मंदिर (Sabarimala Temple) में 10-50 साल की उम्र की महिलाओं के प्रवेश पर रोक को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज बड़ा फैसला सुना दिया है.  कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश की अनुमति दे दी है. कोर्ट ने साफ कहा है कि हर उम्र वर्ग की महिलाएं अब मंदिर में प्रवेश कर सकेंगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमारी संस्कृति में महिला का स्थान आदरणीय है.  यहां महिलाओं को देवी की तरह पूजा जाता है.

बता दें कि इससे पहले मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने आठ दिनों तक सुनवाई करने के उपरांत 1 अगस्त को इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.

जानिए क्या था मामला?

बता दें कि केरल के सबरीमाला मंदिर में विराजमान भगवान अयप्पा (Sabarimala Temple) को ब्रह्मचारी माना जाता है. साथ ही, सबरीमाला की यात्रा से पहले 41 दिन तक कठोर व्रत का नियम है.

मासिक धर्म के चलते युवा महिलाएं लगातार 41 दिन का व्रत नहीं कर सकती हैं. इसलिए, 10 से 50 साल की महिलाओं को मंदिर में आने की अनुमति नहीं थी. यह भी पढ़े-क्या सबरीमाला मंदिर में जा सकतीं है महिलाएं? देश की सर्वोच्च न्यायालय कल करेगी फैसला

गौरतलब है कि इस मामले पर पिछली सुनवाई के दौरान मंदिर के तंत्री यानी मुख्य पुजारी की तरफ से वकील साईं दीपक ने दलीलें रखते हुए कहा कि ये मसला सामाजिक न्याय का नहीं है. मंदिर पर्यटन स्थल नहीं है. वहां आने की पहली शर्त है देवता में आस्था. जिन्हें देवता के सर्वमान्य स्वरूप में विश्वास नहीं, कोर्ट उनकी याचिका पर सुनवाई कर रहा है. यह भी पढ़े-सबरीमाला मामले पर CJI की कड़ी टिप्पणी, मंदिर में पुरुषों की तरह महिलाओं को भी जाने का हक

बता दें कि इस उम्र की महिलाओं के मंदिर में प्रवेश के मुद्दे पर केरल सरकार (Kerala Govt) लगातार रुख बदलती रही है. 18 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में राज्य सरकार ने कहा था कि वह महिलाओं के मंदिर में प्रवेश के पक्ष में है.

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