Startup in India: भारत में पिछले 9 वर्ष में 300 गुना बढ़े हैं 'स्टार्ट-अप्स': केंद्र

केंद्र सरकार के मुताबिक भारत में स्टार्ट-अप्स पिछले 9 वर्षों में 300 गुना बढ़ गए हैंक राष्ट्रपति भवन में केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा स्थापित 'राष्ट्रीय नवप्रवर्तन पुरस्कार (नेशनल इनोवेशन अवार्डस)' के दौरान यह बात कही गई.

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केंद्र सरकार के मुताबिक भारत में स्टार्ट-अप्स पिछले 9 वर्षों में 300 गुना बढ़ गए हैंक राष्ट्रपति भवन में केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा स्थापित 'राष्ट्रीय नवप्रवर्तन पुरस्कार (नेशनल इनोवेशन अवार्डस)' के दौरान यह बात कही गई. यहां राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु द्वारा 'जमीन से जुड़े नवप्रवर्तकों' (ग्रासरूट इनोवेटर्स) को पुरस्कृत भी किया गया. मद्रास हाई कोर्ट ने LIC को लगाई फटकार, ONGC विस्फोट में मारे गए लड़के के पिता को 6.29 लाख रुपये लौटाने का दिया निर्देश. 

इस दौरान केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि 2014 से पहले लगभग 350 स्टार्ट-अप्स ही थे, लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में लाल किले की प्राचीर से आह्वान करने और 2016 में विशेष स्टार्ट - अप योजना शुरू करने के बाद से, आज स्टार्ट - अप्स की संख्या, 100 से अधिक यूनिकॉर्न के साथ 90,000 से अधिक हो गयी है.

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी भागीदारी के लिए खोल दिया, जिससे अंतरिक्ष क्षेत्र में लगभग तीन वर्षों के भीतर 100 से अधिक स्टार्टअप हो गए. उन्होंने कहा कि इसी तरह, जैवप्रौद्योगिकी ( बायोटेक ) स्टार्ट -अप्स लगभग 50 से बढ़कर लगभग 6,000 हो गए हैं.

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत में युवाओं में प्रतिभा, क्षमता, नवाचार और रचनात्मकता की कोई कमी नहीं है, लेकिन उनके पास राजनीतिक नेतृत्व से मिलने वाले उस अनुकूल वातावरण और उचित संरक्षण की कमी थी जो अब प्रधानमंत्री मोदी द्वारा प्रदान कराया गया है.

अब यह भी स्पष्ट है कि हमारे ग्रामीण युवाओं में भी इतनी नवीन प्रतिभा है जो यह बताती है कि औपचारिक शिक्षा की डिग्री तथा नवाचार क्षमताओं के बीच कोई संबंध नहीं होता है और यह आज दिए गए पुरस्कारों से स्पष्ट है. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे का समाधान करने के लिए प्रधान मंत्री मोदी से ऐसी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लाने का आग्रह किया गया था जो केवल शैक्षणिक डिग्री के आधार पर व्यक्ति को उसकी योग्यता और कौशल के अनुसार आजीविका कमाने के लिए तैयार करने के साथ ही कौशल पर भी जोर दे.

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