एनपीए मुद्दे पर सीतारमण ने विपक्ष पर साधा निशाना, कहा- 'भारत अब दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था'

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा कि सरकार की गैर-निष्पादित संपत्तियों (एनपीए) से निपटने के तरीके पर सवाल उठाने वाले विपक्षी सांसदों को पहले यह पहचानना चाहिए कि भारत अब दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है.

Nirmala Sitharaman (Photo Credit: Facebook)

नई दिल्ली, 5 दिसंबर : केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा कि सरकार की गैर-निष्पादित संपत्तियों (एनपीए) से निपटने के तरीके पर सवाल उठाने वाले विपक्षी सांसदों को पहले यह पहचानना चाहिए कि भारत अब दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है. वित्त मंत्री ने कहा कि 1 दिसंबर तक 15,186.64 करोड़ रुपये की संपत्ति ईडी ने जब्त की है. राज्यसभा में चर्चा के दौरान निर्मला सीतारमण ने कहा, '''फ़ोन बैंकिंग' उस समय की बात है जब लोग बैंकों को फ़ोन करके कहते थे कि व्यक्ति आपके बैंक से कर्ज़ (लोन) मांगने आएगा, कृपया दे दो.' मतलब यह कि उनकी पात्रता आदि देखने की कोई जरूरत नहीं है, और लोन अवश्य दिया जाना चाहिए. वित्त मंत्री ने कहा समस्या की जड़ 2004 से 2014 के बीच यूपीए शासन के 10 वर्षों के दौरान थी, जब ऐसे लोगों को लोन देने के लिए फोन किए गए थे, जो लोन पाने के योग्य नहीं थे. भारतीय बैंकों के सुधारों के साथ व्यवस्थित करने का बोझ हम पर आ गया. उन्होंने कहा, ''प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मेरे पूर्ववर्ती अरुण जेटली समेत हम सभी के साथ बैठे. हमने यह समझने में काफी समय बिताया कि समस्या कहां है और आरबीआई के साथ मिलकर काम किया."

उन्होंने यह भी कहा कि तो 'फोन बैंकिंग' वह तरीका था, जिसके माध्यम से राजनीतिक हस्तक्षेप ने हमारे सभी बैंकों को बर्बाद कर दिया और उन्हें घाटे की स्थिति में पहुंचा दिया. इसके अलावा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, ''सबसे पहले यह देखा जाना चाहिए कि एनपीए में किसका योगदान है और भारतीय बैंकों को वास्तव में दोहरी बैलेंस-शीट की समस्या है, जिसने भारतीय अर्थव्यवस्था को 'कमजोर 5' में पहुंचा दिया. आज भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है, जिसने पिछली तिमाही में 7.6 प्रतिशत जीडीपी वृद्धि दर दर्ज की है. राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, ''जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वालों से निपटने के लिए क्या अतिरिक्त और विशेष कदम उठाए जा रहे हैं?'' रमेश ने यह भी कहा कि 2,623 व्यक्तियों पर बैंकों का 1.96 लाख करोड़ रुपये बकाया है. क्या वह उनका नामकरण करने और उन्हें शर्मिंदा करने पर विचार करेंगी? यह भी पढ़ें : DMK MP Gaumutra State Remark: ‘बीजेपी सिर्फ गोमूत्र राज्यों को जीत रही, दक्षिण में घुसने नहीं देंगे’, डीएमके नेता सेंथिलकुमार का विवादित बयान

इस पर सीतारमण ने जवाब दिया, ''विलफुल डिफॉल्टर्स पर कार्रवाई की जा रही है. लोकसभा में मेरा जवाब इस बात का संकेत है कि बैंक इन लोगों से पैसा लेने की दिशा में कदम उठा रहे हैं.'' 31 मार्च तक 13,978 खातों के खिलाफ मुकदमा दायर किया गया था. 11,483 सरफेसी मामलों में कार्रवाई शुरू की गयी है. 5,674 मामलों में एफआईआर दर्ज की गई है. कुल 33,801 करोड़ रुपये की वसूली की गई है. वित्त मंत्री ने कहा, "जिन डिफॉल्टरों पर पीएमएलए कार्रवाई की गई थी, उनसे लगभग 15,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि बैंकों को वापस कर दी गई. 1 दिसंबर तक ईडी द्वारा 15,186.64 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की गई है."

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