राजस्थान: सरदार वल्लभ भाई पटेल से भी बड़ी बनेगी शिव प्रतिमा, अगले साल होगा अनावरण

जयपुर, 18 नवम्बर :भाषा: गुजरात में नर्मदा नदी के पट पर सरदार वल्लभ भाई पटेल की विशाल प्रतिमा के अनावरण के बाद अब राजस्थान के नाथद्वारा में भगवान शिव की 351 फुट ऊंची प्रतिमा बनने जा रही है। यह दुनिया में अपनी तरह की सबसे ऊंची शिव प्रतिमा होगी। इसके अगले वर्ष मार्च तक बन जाने की संभावना है।

भगवान शिव (Photo credits: Facebook/Lord Shiva)

जयपुर: गुजरात में नर्मदा नदी के पट पर सरदार वल्लभ भाई पटेल की विशाल प्रतिमा के अनावरण के बाद अब राजस्थान के नाथद्वारा में भगवान शिव की 351 फुट ऊंची प्रतिमा बनने जा रही है. यह दुनिया में अपनी तरह की सबसे ऊंची शिव प्रतिमा होगी. इसके अगले वर्ष मार्च तक बन जाने की संभावना है. उदयपुर से 50 किलोमीटर की दूरी पर श्रीनाथद्वारा के गणेश टेकरी में सीमेंट कंकरीट से बनी विश्व की सबसे ऊंची शिव प्रतिमा का 85 प्रतिशत निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया है. इस परियोजना के प्रभारी राजेश मेहता ने 'भाषा' को बताया कि 351 फुट ऊंची सीमेंट कंकरीट से निर्मित शिव प्रतिमा दुनिया की चौथे नंबर की और भारत में हाल ही में गुजरात में स्थापित सरदार पटेल की प्रतिमा के बाद दूसरे नंबर की सबसे ऊंची प्रतिमा होगी.

उन्होंने बताया 'मिराज ग्रुप' के ड्रीम प्रोजेक्ट का लगभग 85 प्रतिशत काम पूरा कर लिया गया है और मार्च 2019 तक निर्माण कार्य पूरा होने की संभावना है. मेहता ने बताया कि 351 फुट की विशालकाय, सीमेंट कंकरीट की शिव प्रतिमा का निर्माण उदयपुर से 50 किलोमीटर की दूरी पर उदयपुर—जयपुर राजमार्ग पर श्रीनाथद्वारा के पास गणेश टेकरी में 16 एकड़ क्षेत्र की पहाड़ी पर किया जा रहा है.

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उन्होंने बताया कि पिछले चार वर्षों से चल रहे इस निर्माण में सीमेंट के लगभग तीन लाख बोरे, 2500 टन एंगल, 2500 टन सरिया इस्तेमाल हो चुका है तथा 750 कारीगर और श्रमिक प्रतिदिन काम कर रहे है. प्रतिमा में भगवान शिव ध्यान और आराम की मुद्रा में हैं.

मेहता ने बताया कि 351 फुट ऊंची प्रतिमा में पर्यटकों की सुविधा के लिये चार लिफ्ट और तीन सीढ़ियों का प्रावधान रखा गया है। पयर्टक 280 फुट की ऊंचाई तक जा सकेंगे. उन्होंने बताया कि प्रतिमा को 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कांकरोली फ्लाईओवर से देखा जा सकता है. इतनी ही दूरी से रात में भी प्रतिमा को स्पष्ट रूप से देखने के लिये इसमें विशेष लाइट लगाई जा रही है, जिसे अमेरिका से मंगाया गया है.

उन्होंने बताया कि ऊंची पहाड़ी पर प्रतिमा स्थापित करने के बारे में आस्ट्रेलिया की एक कंपनी से हवा के वेग और रूख के बारे में तकनीकी जानकारी ली गई. इसके बाद निर्माण शुरू किया गया.

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