
पुणे: हर साल की तरह इस बार भी महाराष्ट्र की पावन भूमि पर संत ज्ञानेश्वर महाराज और संत तुकाराम महाराज की पालखियों के साथ लाखों श्रद्धालुओं की आस्था और भक्ति की पदयात्रा शुरू हो गई है. 2025 की यह वारी यात्रा 250 किलोमीटर से अधिक दूरी तय करते हुए 6 जुलाई को आषाढ़ी एकादशी पर पंढरपुर पहुंचकर भगवान विठोबा के दर्शन के साथ समाप्त होगी. पंढरपुर वारी महाराष्ट्र की सदियों पुरानी परंपरा है, जिसमें वारकरी कहलाने वाले श्रद्धालु, पैदल चलकर पंढरपुर स्थित भगवान विठ्ठल रुख्मिणी मंदिर पहुंचते हैं. यह यात्रा दो प्रमुख पालखियों के नेतृत्व में होती है: संत तुकाराम महाराज पालखी (देहू से), संत ज्ञानेश्वर महाराज पालखी (आलंदी से).
संत ज्ञानेश्वर महाराज की पालखी आलंदी से पंढरपुर के लिए आषाढ़ी वारी 2025 की पवित्र यात्रा पर रवाना हुई. शाम होते ही हजारों वारीकरी, जो भगवान विठ्ठल के भक्त हैं, आलंदी में एकत्र हुए और उनके भजन तथा अभंग (भक्ति गीत) पूरे वातावरण को श्रद्धा और उत्साह से भरने लगे.
आषाढ़ी वारी 2025 की शुरुआत
🚩 Sant Dnyaneshwar Maharaj Palkhi Begins Ashadhi Wari 2025 Journey!
Thousands gather in Alandi as the sacred padukas set out for Pandharpur.
250+ km, 17 days of devotion, leading to Ashadhi Ekadashi on July 6 🙏
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— Punekar News (@punekarnews) June 19, 2025
वारी के दौरान भक्तजन अभंग गाते हैं, कीर्तन करते हैं, और सामूहिक भंडारे में भाग लेते हैं. यह वारी न केवल भक्ति की, बल्कि समानता, प्रेम और भाईचारे की मिसाल भी है.
17 दिन, 250 किलोमीटर की भक्ति यात्रा
यह यात्रा लगभग 250 किलोमीटर लंबी होगी और 17 दिन चलेगी. पालखी 5 जुलाई को पंढरपुर पहुंचेगी. इसके अगले दिन यानी 6 जुलाई को आषाढ़ी एकादशी का मुख्य उत्सव मनाया जाएगा. उस दिन महाराष्ट्र के कोने-कोने से लाखों श्रद्धालु भगवान विठोबा और देवी रुक्मिणी के दर्शन के लिए पंढरपुर पहुंचेंगे.