कोलकाता: आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष ने बुधवार को कलकत्ता हाई कोर्ट के उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, जिसमें उनके खिलाफ चल रहे भ्रष्टाचार के मामले की जांच को सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया गया था. बता दें कि 23 अगस्त को, कलकत्ता हाई कोर्ट ने राज्य द्वारा गठित विशेष जांच टीम (SIT) से इस मामले को हटाकर सीबीआई को सौंप दिया था. यह मामला आरजी कर अस्पताल में कथित वित्तीय अनियमितताओं से संबंधित है, जो हाल ही में एक ट्रेनी डॉक्टर के कथित बलात्कार और हत्या के बाद चर्चा में आया था.
संदीप घोष ने फरवरी 2021 से सितंबर 2023 तक आरजी कर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल के रूप में कार्य किया. उन पर गंभीर आरोप लगे हैं. उन्हें अक्टूबर 2023 में आरजी कर से स्थानांतरित कर दिया गया था, लेकिन अज्ञात कारणों से एक महीने के भीतर ही उन्हें फिर से उसी पद पर बहाल कर दिया गया. उन्होंने अस्पताल में तब तक अपनी सेवा दी, जब तक कि डॉक्टर की मौत का मामला सामने नहीं आया.
सीबीआई ने संदीप घोष के साथ तीन अन्य व्यक्तियों को भी गिरफ्तार किया है, जिनमें अफसर अली (44) - जो उनके सुरक्षा गार्ड थे, और अस्पताल के विक्रेता बिप्लव सिंघा (52) और सुमन हाजरा (46) शामिल हैं. घोष का कहना है कि उनके मामले में ‘प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत’ लागू नहीं किए गए और उन्होंने कुछ टिप्पणियों को हटाने की भी मांग की है. इस मामले की सुनवाई शुक्रवार को होनी है.
गौरतलब है कि आरजी कर अस्पताल के पूर्व उप अधीक्षक डॉ. अख्तर अली ने कलकत्ता हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की थी. उन्होंने प्रवर्तन निदेशालय (ED) से संदीप घोष के कार्यकाल के दौरान राज्य-प्रशासित संस्थान में कई कथित वित्तीय अनियमितताओं की जांच करने का अनुरोध किया था. अब, संदीप घोष ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देते हुए कहा है कि उनके खिलाफ जांच को सीबीआई को सौंपना उचित नहीं है.