वाराणसी (उत्तर प्रदेश), 5 नवंबर : सनातन हिंदू संस्कृति के पांच प्रमुख संगठनों ने सभी राजनीतिक दलों से आम चुनाव 2024 से पहले सनातन हिंदू की आकांक्षाओं के बारे में अपने विचार स्पष्ट करने को कहा है. विश्व हिंदू परिषद, अखिल भारतीय संत समिति, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद, गंगा महासभा और श्री काशी विद्वत परिषद के आह्वान पर संस्कृति संसद में देशभर के डेढ़ हजार संतों, महामंडलेश्वरों और 127 संप्रदायों के प्रमुखों के साथ व्यापक चर्चा के बाद यह 'सनातन एजेंडा' तैयार किया गया है.
काशी के रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में रविवार को संयुक्त प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी, अखिल भारतीय संत समिति के महासचिव स्वामी जीतेंद्र नंद सरस्वती, विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि समाज को बांटने की साजिश न हो, इसलिए 10 सूत्री हिंदू एजेंडा घोषित किया जा रहा है.
संतों द्वारा बताए गए 10 बिंदु निम्नलिखित हैं.
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 30 में संशोधन करके भारत में प्रत्येक समुदाय को शैक्षणिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं की स्थापना एवं संचालन का समान अधिकार दिया जाना चाहिए. प्रत्येक शैक्षणिक संस्थान को अपना पाठ्यक्रम तैयार करने और चलाने में स्वायत्तता होनी चाहिए.
- वक्फ अधिनियम 1995 को निरस्त किया जाए अथवा वक्फ बोर्ड को किसी भी संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित करने का अधिकार वापस लिया जाए. संपत्ति के अधिकार और प्रक्रियाएँ सभी समुदायों के लिए समान होनी चाहिए और मुसलमानों के लिए भी समान होनी चाहिए.
- संघीय कानून बनाकर हिंदू मंदिरों को हिंदू समाज को वापस किया जाए.
- पर्यटन मंत्रालय से अलग तीर्थ मंत्रालय बनाकर शास्त्रीय मान्यताओं को ध्यान में रखते हुए तीर्थ स्थलों का विकास किया जाए. तीर्थ स्थलों की पवित्रता और वहां के पर्यावरण की सुरक्षा के लिए यह जरूरी है.
-लव जिहाद और अवैध धर्मांतरण को रोकने के लिए प्रभावी कानून बनाया जाए. यह इस समय की अनिवार्य आवश्यकता है. लव जिहाद और इसके जरिए हो रहे धर्मांतरण से जो सबसे बड़ी समस्या पैदा हुई है, वह है हिंसा. ऐसे हजारों मामले सामने आए हैं जिनमें हिंदू बेटियों का धर्म परिवर्तन कर शादी की गई और कुछ ही दिनों में उनकी हत्या कर दी गई. किसी भी हाल में धर्म परिवर्तन कर शादी की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए. केवल विवाह के लिए धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए प्रभावी कानून बनाना जरूरी है.
- भारत का हर नागरिक बराबर है. देश में समान नागरिक संहिता लागू होनी चाहिए. एक राष्ट्र, एक नागरिकता, एक कानून लागू किया जाए.
- धर्मांतरित लोगों को आदिवासी आरक्षण के दायरे से बाहर रखा जाए. जो लोग किसी भी कारण से धर्म परिवर्तन कर चुके हैं या कर रहे हैं उन्हें किसी भी परिस्थिति में आरक्षण के दायरे में नहीं रखा जा सकता है. यह स्थिति स्पष्ट होनी चाहिए. इसके लिए कानून बनाया जाना चाहिए.
- अन्य अनुयायियों की तरह मंदिर के पुजारियों को भी मानदेय दिया जाए. यह सुनिश्चित किया जाए कि प्रत्येक मंदिर में पूजा, आरती एवं धार्मिक कार्यों के लिए नियुक्त प्रत्येक पुजारी को उसके भरण-पोषण के लिए समय पर सम्मानजनक धनराशि दी जाए.
- संत सेवा प्राधिकरण का गठन कर संतों की भौतिक कठिनाइयों का समाधान किया जाए. राष्ट्र सेवा की सबसे बड़ी जिम्मेदारी संतों पर है. भारत की संस्कृति, दर्शन और अध्यात्म से देश और समाज को जोड़े रखने की जिम्मेदारी संत ही निभा रहे हैं. संतों की रक्षा करना, उनकी देखभाल करना और उनकी जरूरतों को पूरा करना राज्य/राष्ट्र की जिम्मेदारी है. इसके लिए केन्द्र एवं राज्य स्तर पर संत सेवा प्राधिकरण की स्थापना आवश्यक है.
बैठक में कहा गया कि सभी राजनीतिक दलों को इन बिंदुओं पर अपने विचार स्पष्ट करने चाहिए और इसके बाद हिंदू समाज तय करेगा कि अगले आम चुनाव में किसे समर्थन देना है.