SAD on Uniform Civil Code: कॉमन सिविल कोड का अकाली दल ने भी किया विरोध, कहा- लागू करना देशहित में नहीं

एसएडी) ने शुक्रवार को कहा कि 22वें विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का प्रस्ताव दिया था जो देश के हित में नहीं है. एसएडी ने कहा कि वास्तविक देशव्यापी अंतर-धार्मिक सहमति के बिना यूसीसी लागू करना, खासकर अल्पसंख्यकों के बीच, संविधान की भावना का उल्लंघन होगा

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SAD on Uniform Civil Code: शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) ने शुक्रवार को कहा कि 22वें विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का प्रस्ताव दिया था जो देश के हित में नहीं है. एसएडी ने कहा कि वास्तविक देशव्यापी अंतर-धार्मिक सहमति के बिना यूसीसी लागू करना, खासकर अल्पसंख्यकों के बीच, संविधान की भावना का उल्लंघन होगा और यह भय पैदा करेगा. आयोग के सदस्य (सचिव) को भेजे पत्र में पार्टी अध्यक्ष सुखबीर बादल ने लिखा, ''एकरूपता को एकता के साथ भ्रमित नहीं किया जाना चाहिए। भारत विविधता में एकता का प्रतीक है, एकरूपता में नहीं। केवल एक सच्चा संघीय ढांचा ही हमारी समस्याओं का समाधान कर सकता है और भारत को एक वैश्विक महाशक्ति बना सकता है.

मोदी सरकार से यूसीसी के विचार को आगे नहीं बढ़ाने का आग्रह करते हुए बादल ने केंद्र से इस मुद्दे पर कोई भी फैसला लेने से पहले देशभक्त सिख समुदाय की भावनाओं का सम्मान करने की अपील की है. यह महत्वपूर्ण है क्योंकि संवेदनशील सीमावर्ती राज्य पंजाब में शांति और सांप्रदायिक सद्भाव हमेशा सर्वोच्च राष्ट्रीय प्राथमिकता बनी रहनी चाहिए। एएसडी अध्यक्ष ने आयोग को यह भी बताया कि पार्टी ने राज्य और बाहर विभिन्न हितधारकों के साथ विचार-विमर्श किया है.

"उसके आधार पर, हमने जो व्यापक धारणा बनाई है वह यह है कि यदि यूसीसी लागू होता है तो निश्चित रूप से विभिन्न जाति, पंथ और धर्मों के अल्पसंख्यक समुदायों की स्वतंत्रता प्रभावित होगी.

पत्र में यह भी कहा गया है कि चूंकि प्रस्तावित यूसीसी का कोई मसौदा तैयार नहीं किया गया है और विभिन्न धर्मों के वर्तमान व्यक्तिगत कानूनों में प्रस्तावित संशोधनों के संबंध में विधि आयोग द्वारा जारी नोटिस के साथ प्रसारित नहीं किया गया है, इसलिए इस मुद्दे पर कोई ठोस सुझाव देना असंभव है.

पत्र में यह भी कहा गया है कि प्रस्तावित कानून के सभी विवरणों को अंडरलाइन करते हुए एक मजबूत मसौदा तैयार किया जाना चाहिए. इस मसौदे को पूरे देश में लोगों के बीच प्रसारित किया जाना चाहिए ताकि वे प्रतिक्रिया दे सकें. सुखबीर बादल ने यह भी कहा कि प्रस्तावित यूसीसी उन सामाजिक जनजातियों को भी प्रभावित करेगा जिनके अपने विविध रीति-रिवाज, संस्कृति और विभिन्न व्यक्तिगत कानून हैं.

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