
Aero India 2025 में इतिहास रचते हुए पहली बार दुनिया के दो सबसे आधुनिक पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान—अमेरिकी F-35 लाइटनिंग II और रूसी Su-57 फेलॉन—एक ही हवाई पट्टी और वायु क्षेत्र में साथ नजर आएंगे.
बेंगलुरु के येलहंका एयरफोर्स बेस पर अमेरिकी निर्मित दो F-35 लाइटनिंग II फाइटर जेट्स उतरे, जहां पहले से ही रूस का अत्याधुनिक Su-57 फेलॉन मौजूद था. यह ऐतिहासिक क्षण वैश्विक सैन्य शक्ति के इस प्रतिष्ठित प्रदर्शन का प्रतीक बन गया है. यह पहली बार है जब Su-57 Aero India में भाग ले रहा है, जबकि F-35 इससे पहले 2023 के संस्करण में प्रदर्शित हो चुका है.
Aero India 2025 में दोनों देशों के पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट्स प्रदर्शित किए जाएंगे, लेकिन केवल Su-57 फेलॉन ही हवाई करतब (aerial demonstration) में भाग लेगा. अमेरिकी F-35 को केवल स्थिर प्रदर्शन (static display) तक सीमित रखा गया है. स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, F-35 की एरियल डेमोंस्ट्रेशन न होने का मुख्य कारण योग्य डेमो पायलटों की कमी बताई जा रही है.
भारत के लिए सामरिक महत्व
Aero India में दोनों विमानों की उपस्थिति का विशेष महत्व है क्योंकि अमेरिका और रूस दोनों ही भारत को अपने-अपने पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट बेचने की कोशिश कर रहे हैं. भारतीय वायुसेना को अपने पारंपरिक विरोधियों के सामने बढ़ती चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. पाकिस्तान जल्द ही चीनी निर्मित J-35A प्राप्त करने वाला है, जबकि चीन कई वर्षों से J-20 माइटी ड्रैगन का संचालन कर रहा है और J-35A को भी अपनी वायुसेना में शामिल करने की योजना बना रहा है.
इन परिस्थितियों में, केवल चौथी पीढ़ी++ के लड़ाकू विमान जैसे कि फ्रांस निर्मित राफेल और रूसी Su-30MKI भारत के लिए पर्याप्त नहीं होंगे. भारत को जल्द ही पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की आवश्यकता होगी.
अमेरिका और रूस की पेशकशें
अमेरिका ने भारत को F-35 की पेशकश की है, जबकि रूस ने Su-57 फेलॉन को भारत के लिए प्रस्तावित किया है. इसके अलावा, रूस ने भारत के स्वदेशी पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान प्रोजेक्ट AMCA (Advanced Medium Combat Aircraft) के लिए साझेदारी का भी प्रस्ताव रखा है. यह परियोजना हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) और वैमानिकी विकास एजेंसी (ADA) के तहत संचालित हो रही है.
रूसी रक्षा निर्यात एजेंसी रोसोबोरोनेक्सपोर्ट के निदेशक अलेक्जेंडर मिखेव ने पुष्टि की है कि भारत को Su-57E (निर्यात संस्करण) प्रोजेक्ट में साझेदारी करने का व्यापक प्रस्ताव दिया गया है, जिसमें स्थानीय उत्पादन भी शामिल है. मिखेव ने Sputnik India को दिए एक बयान में कहा, “हमारे प्रस्तावों में असेंबल किए गए विमानों की आपूर्ति, भारत में संयुक्त उत्पादन की स्थापना और भारत के पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान के विकास में सहायता शामिल है.”
Su-57: युद्ध में परीक्षण किया गया विमान
रूस अपनी Su-57 फाइटर जेट के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए आक्रामक रणनीति अपना रहा है. रूसी रक्षा कंपनी रोस्टेक के अनुसार, इस विमान की वैश्विक मांग तेजी से बढ़ रही है. कंपनी का दावा है कि Su-57 ही दुनिया का एकमात्र पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान है, जिसने वास्तविक युद्ध में पश्चिमी वायु रक्षा प्रणालियों के खिलाफ अपनी प्रभावशीलता साबित की है.
Aero India 2025 में यह मुकाबला न केवल भारतीय रक्षा क्षेत्र के लिए बल्कि वैश्विक सामरिक संतुलन के लिए भी महत्वपूर्ण साबित होगा. भारत के लिए यह निर्णय अत्यंत महत्वपूर्ण होगा कि वह अमेरिकी F-35 को अपनाए या रूसी Su-57 के साथ साझेदारी करे.