तिरुमाला: विश्व स्तर पर प्रसिद्ध भगवान वेंकटेश्वर मंदिर (Lord Venkateswara Temple) की सुरक्षा में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की एंटी ड्रोन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाएगा. तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) ऐसा करने वाला देश का पहला मंदिर प्रशासन बन जाएगा. टीटीडी जल्द से जल्द तिरुपति मंदिर में यह सिस्टम लगाने की योजना बना रही है. तिरुपति में केवल टिकट वाले भक्तों को वैकुंठ द्वार दर्शनम की अनुमति
टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, डीआरडीओ की एंटी ड्रोन टेक्नोलॉजी ड्रोन का पता लगाने, जैमिंग और काउंटरमेशर्स में माहिर है. इसकी कीमत प्रति पीस 25 करोड़ रुपये होने का अनुमान है. यह सिस्टम 4 किमी तक के दायरे में ड्रोन की पहचान करने में सक्षम है. जबकि 3 किमी रेंज में रेडियो फ्रीक्वेंसी जैमिंग के माध्यम से ड्रोन के संचार और जीपीएस को रोक देगा, जिससे ड्रोन का रिमोट लोकेटिंग सिस्टम निष्क्रिय हो जाएगा. इसके आलावा यह सिस्टम 150 मीटर से एक किमी की सीमा में छोटे ड्रोन का पता लगाकर खुद नष्ट करने में सक्षम है.
उल्लेखनीय है कि जम्मू-कश्मीर के अखनूर में बीती रात सेना ने एक विशाल पाकिस्तानी ड्रोन को मार गिराया. इस ड्रोन के साथ पुलिस ने 5 किलो विस्फोटक भी बरामद किया है. वहीं, 27 जून को पाकिस्तान से लगी सीमा से करीब 14 किलोमीटर दूर स्थित उच्च सुरक्षा हवाई अड्डे पर रात दो बजे से थोड़ा पहले हुए विस्फोटों में भारतीय वायुसेना के दो जवान घायल हो गए थे, जिन्हें मामूली चोटें आईं थी.
पिछले दो वर्षों में पाकिस्तान द्वारा सीमा पार हथियार गिराने के लिए ड्रोन का उपयोग करने की खबरें आई हैं. रिपोर्ट्स के अनुसार, 2019 से पाकिस्तान के साथ सीमा पर 250 से अधिक ड्रोन देखे गए हैं. पहली घटना अगस्त 2019 में पंजाब में हुई थी जब अमृतसर के एक गांव में दुर्घटनाग्रस्त ड्रोन मिला था. सितंबर में, सुरक्षा बलों द्वारा गिरफ्तार किए गए आतंकियों ने कथित तौर पर खुलासा किया कि पंजाब में आठ ड्रोन उड़ानों में ड्रग्स और हथियार गिराए गए थे. कठुआ जिले में पिछले साल 20 जून को बीएसएफ ने एक संदिग्ध जासूसी ड्रोन को मार गिराया था.