Rajouri Encounter: राजौरी की इस छोटी सी गुफा में छिपे थे आतंकी, दुर्गम इलाकों के ऐसे ठिकाने हैं सेना के लिए बड़ा चैलेंज

जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले में जारी एनकाउंटर खत्म हो गया है. इस मुठभेड़ में भारतीय सेना के 2 ऑफिसर समेत 3 जवान शहीद हो गए थे. जबकि, सुरक्षा बलों ने दो आतंकियों को ढेर किया.

Terrorist Hideout in Rajouri | ANI

राजौरी: जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले में जारी एनकाउंटर खत्म हो गया है. इस मुठभेड़ में भारतीय सेना के 2 ऑफिसर समेत 3 जवान शहीद हो गए थे. जबकि, सुरक्षा बलों ने दो आतंकियों को ढेर किया. पांच जवानों की शहादत पर देश की आंखें नम हैं. इस मुठभेड़ में गुरुवार को दो आतंकवादी मारे गए, जिनमें से एक पाकिस्तानी था. एक रक्षा प्रवक्ता ने बताया कि मुठभेड़ के दौरान एक पाकिस्तानी आतंकी मारा गया. जिसकी पहचान क्वारी नामक कट्टर आतंकी के रूप में की गई. इस आतंकी को पाकिस्तान और अफगान मोर्चे पर प्रशिक्षित किया गया था. वह लश्कर-ए-तैयबा का एक टॉप रैंक का आतंकी था. ये आतंकी जंगल के बीच एक छोटी सी गुफा में छिपे हुए थे. Jammu and Kashmir: राजौरी मुठभेड़ में शहीद हुए पांच जवानों को सेना, पुलिस ने श्रद्धांजलि दी.

सुरक्षा अधिकारी ने कहा कि राजौरी क्षेत्र के जंगलों में एक छोटी सी गुफा थी, जिसका इस्तेमाल आतंकी छुपने के लिए कर रहे थे. उन्होंने कहा कि ऐसे ठिकानों का पता लगा पाना और उसमें सेंध लगा पाना काफी कठिन होता है. भारतीय सेना के स्पेशल फोर्सेज द्वारा चलाए जा रहे ऑपरेशन में दो आतंकियों को मार गिराया गया है. इस गुफा की तस्वीर आप यहां देख सकते हैं.

यही गुफा थी आतंकियों का अड्डा:

इन जाबांजों ने दिया देश के लिए बलिदान

आतंकियों से मुकाबला करते हुए अपनी जान न्योछावर करने वाले कर्नाटक के मंगलोर के निवासी कैप्टन एम वी प्रांजल (63 राष्ट्रीय राइफल्स), उत्तर प्रदेश के आगरा के निवासी कैप्टन शुभम गुप्ता (9 पैरा), जम्मू-कश्मीर के पुंछ के निवासी हवलदार अब्दुल माजिद, उत्तराखंड के नैनीताल रहने वाले लांस नायक संजय बिष्ट और उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ के पैराट्रूपर सचिन लौर हैं.

रविवार से हो रही थी आतंकियों की तलाश

सुरक्षाबलों ने आतंकियों के छिपे होने की सूचना पर सर्च ऑपरेशन चलाया था. इसी दौरान जंगल में छिपे आतंकियों ने उन पर फायरिंग कर दी. यह सर्च अभियान रविवार को ही शुरू हो गया था और बुधवार मुठभेड़ शुरू हुई. सेना की ‘व्हाइट नाइट कोर’ ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा था कि विशिष्ट खुफिया जानकारी के आधार पर रविवार को राजौरी के गुलाबगढ़ जंगल के कालाकोट इलाके में संयुक्त अभियान शुरू किया गया. इसमें कहा गया है कि 22 नवंबर को मुठभेड़ हुई और भीषण गोलीबारी हुई.

राजौरी और पुंछ क्यों बनते हैं आतंकियों के अड्डे

राजौरी और पुंछ आतंकियों के अड्डे बनते हैं. इसके पीछे वजह है यहां के खतरनाक जंगल. यहां कई ऐसे दुर्गम इलाके हैं जहां सर्च अभियान करना बेहद मुश्किल हो जाता है, इसलिए आतंकी यहां पनाह लेते हैं. राजौरी के कोटरंका का केसरी हिल का इलाका काफी खतरनाक है. भौगोलिक तौर पर देखा जाए तो इस इलाके में गहने जंगल, और बड़े-बड़े पत्थरों के बोल्डर मिल जाते हैं, जो आतंकियों के लिए ढाल का काम करते हैं. इस इलाके में कई छोटी-बड़ी प्राकृतिक गुफाएं भी हैं, जिनमें आतंकी छुप जाते हैं.

इन प्राकृतिक गुफाओं को आतंकी शेल्टर के तौर पर इस्तेमाल करते हैं. राजौरी में भी आतंकी ऐसी ही एक गुफा में छिपे हुए थे. ये गुफाएं सुरक्षाबलों के लिए बड़ा चैलेंज बनी हुई हैं.

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