जयपुर, 24 नवंबर : राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के राजस्थान में प्रवेश से पहले प्रदेश कांग्रेस में एक बार फिर गुटबाजी सामने आ गई है. एनडीटीवी के साथ एक साक्षात्कार (इंटरव्यू) में, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने पूर्व डिप्टी सचिन पायलट पर तीखा हमला करते हुए कहा, एक गद्दार (देशद्रोही) मुख्यमंत्री नहीं हो सकता है. गहलोत ने कहा, लोग एक ऐसे व्यक्ति को कैसे स्वीकार कर सकते हैं, जिसके पास 10 विधायक भी नहीं हैं..जिसने पार्टी के खिलाफ बगावत की और गहलोत ने उन्हें देशद्रोही करार दिया.
गहलोत ने पायलट को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि हम 34 दिनों तक होटलों में बैठे रहे क्योंकि सरकार गिराई जा रही थी. अमित शाह भी शामिल थे, धर्मेंद्र प्रधान भी शामिल थे. यह पूछे जाने पर कि पायलट इन आरोपों से इनकार कर रहे हैं कि उनकी भाजपा के साथ मिलीभगत है, गहलोत ने कहा- मेरे पास सबूत है. वह इससे इनकार नहीं कर सकते. प्रत्येक को 10 करोड़ रुपये वितरित किए गए. यह भी पढ़ें : भारत ने वन्यजीव सम्मेलन में लाल मुकुट वाले वाले कछुए को बेहतर सुरक्षा देने का प्रस्ताव पेश किया
यह पूछे जाने पर कि गहलोत खेमा पायलट को क्यों स्वीकार नहीं कर रहा है? गहलोत ने कहा, कैसे स्वीकार करेंगे जिस आदमी ने विश्वासघात किया, हमारे विधायक और मैंने खुद को 34 दिनों तक होटलों में रहकर झेला है. सीएम की कुर्सी बरकरार रखने के सवाल पर गहलोत ने कहा- आज मैं यहां अकेला हूं. आलाकमान के इशारे के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, आलाकमान का इशारा तो छोड़िए, मेरे पास कोई इशारा नहीं है. मैं आलाकमान के साथ हूं. पायलट को कोई स्वीकार नहीं करेगा.
गहलोत ने कहा, आलाकमान राजस्थान के साथ न्याय करेगा. मैंने अजय माकन और आलाकमान को अपनी भावनाओं के बारे में बताया है. राजस्थान में सरकार की वापसी जरूरी है. मैं तीन बार सीएम रह चुका हूं, मेरा सीएम होना जरूरी नहीं है गहलोत ने कहा कि आप सर्वे करवा लीजिए. अगर मेरे मुख्यमंत्री पद पर सरकार वापस आ सकती है तो मुझे रख लीजिए. अगर कोई और चेहरा लेकर सरकार आ सकती है तो बनाइए. मैं अमरिंदर सिंह की तरह बगावत नहीं करूंगा.
सचिन पायलट से अपने मतभेदों पर गहलोत ने कहा, 2009 के लोकसभा चुनाव में जब कांग्रेस के राजस्थान से 20 सांसद जीते थे, तब मुझे दिल्ली बुलाया गया था. कार्यसमिति की बैठक हुई थी, तब मुझसे राजस्थान से मंत्री बनाने के बारे में पूछा गया था. सचिन पायलट को पता है, मैंने पायलट को केंद्र में मंत्री बनाने की सिफारिश की थी. उस वक्त वसुंधरा राजे की सरकार में गुर्जर-मीणाओं की लड़ाई में 70 गुर्जर मारे गए थे.
गहलोत ने कहा कि मैंने सचिन पायलट को गुर्जर समुदाय से मंत्री बनाने की सिफारिश की थी, यह सोचकर गुर्जर-मीणा झगड़ा खत्म हो जाएगा. बाद में, मुझे सचिन पायलट का फोन आया कि उनके नाम की सिफारिश करें, जबकि मैंने पहले ही इसकी सिफारिश कर दी थी. केवल दिल में प्यार रखने वाला व्यक्ति ही युवक की सिफारिश कर सकता है.
25 सितंबर को यह खबर फैलाई जा रही थी कि सचिन पायलट को सीएम बनाया जा रहा है. पायलट ने खुद ऐसा बर्ताव किया जैसे वह सीएम बनने जा रहे हैं. ऐसे में विधायक दल की बैठक के दूसरे दिन पायलट के शपथ ग्रहण को लेकर विधायक भ्रमित हो गए. तभी 90 विधायक जुट गए. वे सभी वफादार हैं और आलाकमान के साथ खड़े हैं. गहलोत ने कहा, जिस वजह से हम 34 दिन होटलों में रहे, सरकार गिराने की साजिश करने वाले को विधायक कैसे अपना नेता मानेंगे.
गहलोत ने कहा कि बागी विधायक पायलट के साथ मानेसर स्थित उस रिसॉर्ट में गए थे जहां मध्य प्रदेश के विधायकों को ठहराया गया था. हम उम्मीद नहीं कर सकते थे कि पार्टी के अध्यक्ष अपनी ही पार्टी की सरकार गिराने के लिए विपक्ष से हाथ मिला लेंगे. इतिहास में आज तक ऐसा कभी नहीं हुआ. इस कारण पायलट का नाम सुनते ही विधायक नाराज हो गए. दो महीने पहले, 25 सितंबर को कांग्रेस आलाकमान द्वारा आदेशित सीएलपी बैठक का विधायकों ने बहिष्कार किया था क्योंकि मंत्री शांति धारीवाल, महेश जोशी और धर्मेंद्र राठौर ने समानांतर बैठक बुलाई थी, जिसमें लगभग 92 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया था.