राफेल मामला: HAL कर्मचारियों से मिलने बेंगलूरू पहुंचे राहुल गांधी, कहा- आपकी परेशानी सुनने आया हूं
राफेल सौदे को लेकर राहुल गांधी लगातार मोदी सरकार को घेरने की कोशिश कर रहे है. इस मामले को और हवा देने के लिए शनिवार को वे बेंगलुरु पहुंचे. जहां पर उन्होंने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL ) के कर्मचारियों से मुलाकात की.
बेंगलुरु: राफेल सौदे को लेकर राहुल गांधी लगातार मोदी सरकार को घेरने की कोशिश कर रहे है. इस मामले को और हवा देने के लिए शनिवार को वे बेंगलुरु पहुंचे. जहां पर उन्होंने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL ) के कर्मचारियों से मुलाकात की. मुलाकात के दौरान राहुल गांधी ने कंपनी की प्रशंसा करते हुए इसमें काम करने वालों लोगों की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह कंपनी कोई सामान्य कंपनी नहीं है. इसलिए इस कंपनी में काम करने वालों को अपने को गर्व महसूस करना चाहिए. क्योंकि जब भारत देश आजाद हुआ था तो कुछ चुनिंदा क्षेत्रों में प्रवेश के लिए कुछ रणनीतिक संपत्तियों का निर्माण किया, एयरोस्पेस के क्षेत्र में एचएएल ऐसी ही एक संपत्ति है.
वहीं आगे उन्होंने कहा कि आज यहां पर लोगों की समस्याएं सुनने के लिए आया हूं और आप सबकी मुश्किलें मैं समझता हूं. इसलिए मैं यहां पर आया हूँ. वहीं राहुल गांधी ने एचएएल कर्मचारियों की तारीफ़ करते हुए कहा कि 'आपने देश के लिए जो काम किया है, वह बेमिसाल है और इसके लिए पूरा देश आपका आभारी' है. यह भी पढ़े: राफेल डील: राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर साधा निशाना-कहा, देश के पीएम भ्रष्ट हैं, मांगा इस्तीफा
बता दें कि राहुल गांधी बेंगलुरु आने से पहले एक ट्वीट करते हुए लिखा था कि राफेल सौदे को एक साजिश के तहत देश की सबसे प्रतिष्ठित कंपनी एचएएल से डील छीनकर उद्योगपति अनिल अंबानी को फायदा पहुंचाने के लिए यह सौदा उन्हें सौपा गया. इस डील से एचएएल कंपनी में काम करने वाले करीब दस हजार कर्मचारियों की नौकरी जा रही है. मोदी सरकार देश की इस प्रतिष्ठित कंपनी को तबाह करने में लगी है. इसलिए मै शनिवार को बेंगलुरु जा रहा हूं आप भी मेरे साथ आइए. यह भी पढ़े: राफेल डील: शिवसेना का मोदी सरकार पर बड़ा हमला, राउत ने राफेल को बताया ‘बोफोर्स का बाप’
क्या है पूरा मामला
गौरतलब कि मौजूदा मोदी सरकार ने फ्रांस की सरकार से 36 लड़ाकू विमान खरीदने को लेकर सौदा किया है. इस सौदे को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया है कि यूपीए कार्यकाल में किए गए सौदे की तुलना में यह सौदा काफी महंगा है. जिसकी वजह से सरकारी खजाने को हजारों करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.