राफेल से भारत को जंग लड़ने की बेमिसाल ताकत मिलेगी: उप वायुसेना प्रमुख

उप वायुसेना प्रमुख एसबी देव ने कहा कि राफेल एक बेहतरीन विमान है. यह काफी सक्षम विमान है और हम इसे उड़ाने की प्रतीक्षा कर रहे हैं. एक कार्यक्रम के दौरान जब उनसे राफेल डील पर सवाल पुछा गया तो उन्होंने कहा कि राफेल जेट से भारत को अपने प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ जंग लड़ने में बेमिसाल ताकत मिलेगी.

राफेल ( Wikimedia Commons )

नई दिल्ली. उप वायुसेना प्रमुख एसबी देव ने राफेल डील पर चल रहे विवादों के बीच एक बड़ा बयान दिया है. उन्होंने राफेल विमान को खूबसूरत और उसकी क्षमता की तारीफ की है. उन्होंने राफेल की ताकत का बखान करते हुए कहा कि वायु सेना में शामिल होने के बाद भारत को जंग लड़ने की बेमिसाल ताकत मिलेगी. एसबी देव ने यह भी कहा कि इस डील की आलोचना करने से पहले उसके मापदंडों और खरीद प्रक्रियाओं को समझना चाहिए.

उप वायुसेना प्रमुख एसबी देव ने कहा कि राफेल एक बेहतरीन विमान है. यह काफी सक्षम विमान है और हम इसे उड़ाने की प्रतीक्षा कर रहे हैं. एक कार्यक्रम के दौरान जब उनसे राफेल डील पर सवाल पुछा गया तो उन्होंने कहा कि राफेल जेट से भारत को अपने प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ जंग लड़ने में बेमिसाल ताकत मिलेगी. साल 2006 में भारत ने फ्रांस के साथ अंतर-सरकारी समझौता किया था. जिसके तहत 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए ( 7.8 करोड़ यूरो ) 58,000 करोड़ रुपये की लागत आई थी. बता दें कि अगले साल सितंबर 2019 में राफेल भारत में पहुंचेगा.

मोदी सरकार का यह था फैसला 

बता दें कि यह सौदा सरकार द्वारा पांच साल पहले वायु सेना के लिए 126 मध्यम बहु भूमिका लड़ाकू विमान (एमएमआरसीए) की खरीद प्रक्रिया को रद्द करने के बाद लड़ाकू विमान को लेकर देश के लिए यह पहला सबसे बड़ा सौदा होगा. इसके पहले मोदी सरकार ने सितंबर 2016 में 36 राफेल दोहरे इंजन वाले लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए फ्रांस सरकार के साथ करीब 58000 करोड़ रूपये के सौदे पर दस्तखत किए है. इस डील का कांग्रेस पार्टी सरकार पर घोटाले का आरोप लगाकर विरोध कर रही है.

जानिए क्या है राफेल?

राफेल अनेक भूमिकाएं निभाने वाला एवं दोहरे इंजन से लैस फ्रांसीसी लड़ाकू विमान है और इसका निर्माण डसॉल्ट एविएशन ने किया है. राफेल विमानों को वैश्विक स्तर पर सर्वाधिक सक्षम लड़ाकू विमान माना जाता है.

नई डील में क्या है अंतर?

इस डील के साथ ही भारत और फ्रांस की सरकार के बीच समझौता किया गया कि इस डील से दसॉल्ट को हुई कुल कमाई का आधा हिस्सा कंपनी को एक निश्चित तरीके से वापस भारत में निवेश करना होगा. डील के इस पक्ष को ऑफसेट क्लॉज कहा गया. लिहाजा, डील के तहत दसॉल्ट को यह सुनिश्चित करना था कि वह 8.7 बिलियन डॉलर की आधी रकम को वापस भारत के रक्षा क्षेत्र में निवेश करे.

वहीं विपक्ष लगातार राफेल डील को लेकर मोदी सरकार पर हमला कर रही है. कांग्रेस की मांग है कि इस मुद्दे पर एक सार्वजनिक बहस कराने तथा मामले की गहन जांच हो.

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