चंडीगढ़: पंजाब (Punjab) में कृषि बिल को लेकर किसानों द्वारा कई दिन से रेल रोको आन्दोलन किया जा रहा था. जिसकी वजह से जहां हर दिन रेल विभाग को करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा था. वहीं यात्रा करने को लेकर यात्रियों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था. किसानों से कृषि बिल को लेकर केंद्र सरकार द्वारा बातचीत को राजी होने के बाद पंजाब के किसान संगठनों ने 23 नवंबर से 15 दिन के लिए ट्रेन परिचालन शुरू करने की अनुमति देने का ऐलान किया है. लेकिन किसानों ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर 15 दिनों में वार्ता नहीं होती है, तो आंदोलन फिर से शुरू होगा.
किसानों के इस ऐलान के बाद पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा, “किसान यूनियनों द्वारा 23 नवंबर की रात से 15 दिनों के लिए रेलों को नहीं रोका जाएगा, मैं इस कदम का स्वागत करता हूं, क्योंकि यह हमारी अर्थव्यवस्था को सामान्य स्थिति में लाने में मदद करेगा. मैं केंद्र सरकार से पंजाब के लिए रेल सेवाओं को फिर से शुरू करने का आग्रह करता हू. यह भी पढ़े: सीएम अमरिंदर सिंह ने किसानों के फैसले का किया स्वागत:
Happy to share that starting 23rd Nov night, Kisan Unions have decided to end rail blockades for 15 days. I welcome this step since it'll restore normalcy to our economy. I urge Central Govt to resume rail services to Punjab forthwith: Punjab CM after meeting Kisan Unions. https://t.co/fxDhMrloyC pic.twitter.com/5Kkm4yzMUn
— ANI (@ANI) November 21, 2020
वहीं किसानों के रेल रोको आन्दोलन 19 नवंबर तक उत्तरी रेलवे को 891 करोड़ के राजस्व का नुकसान हुआ है. इसके कारण भारतीय रेलवे को कमाई के मामले में भी 2220 करोड़ रुपये का घाटा उठाना पड़ा है. राजस्व हानि वास्तव में 24 सितंबर से प्रभावी होने के साथ 55 दिनों में ही 825 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है, जो यात्री ट्रेनों को रद्द करने के कारण और भी बढ़ गई है. केंद्र के कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ किसानों द्वारा जारी विरोध के कारण रेलवे को यात्री राजस्व में 67 करोड़ रुपये सहित कुल 2,220 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. (इनपुट आईएएनएस)