जम्मू और कश्मीर (Jammu & Kashmir) के पुलवामा (Pulwama) में हुए आतंकवादी हमले में 40 सीआरपीएफ (CRPF) जवानों की शहादत के बाद भारत सरकार एक्शन के मोड में है. भारत सरकार ने सख्त कदम उठाते हुए शुक्रवार को पाकिस्तान (Pakistan) से व्यापार में 'सबसे तरजीही राष्ट्र (MFN)' का दर्जा वापस ले लिया था. तो वहीं, पाकिस्तान से आयातित सभी तरह के सामानों पर सीमा शुल्क (Customs Duty) को बढ़ाकर शनिवार को तत्काल प्रभाव से 200 प्रतिशत कर दिया था. अब अगले कदम के रूप में भारत आतंकवाद से पाकिस्तान के रिश्तों का पर्दाफाश करेगा और उसे काली सूची (Blacklist) में डालने की मांग करेगा. दरअसल, पुलवामा में हुए आतंकी हमले में पाकिस्तान का हाथ होने से जुड़े दस्तावेज आतंकवादी गतिविधियों के लिए वित्तपोषण पर नजर रखने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था 'फिनांशियल एक्शन टास्क फोर्स' (FATF) को मुहैया कराए जाएंगे. अधिकारियों ने यह जानकारी दी.
उन्होंने बताया कि सुरक्षा एजेंसियां पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद की ओर से अंजाम दिए गए हमले और पड़ोसी देश द्वारा इस आतंकी संगठन को दी गई मदद को लेकर अब तक इकट्ठा किए गए साक्ष्य से दस्तावेज तैयार कर रही हैं. एक सुरक्षा अधिकारी ने कहा कि यह जैश-ए-मोहम्मद के साथ पाकिस्तानी एजेंसियों के संबंध और उनकी ओर से आतंकवादी संगठन के वित्तपोषण पर एक दस्तावेज होगा. अतीत में जैश की ओर से अंजाम दिए गए हमलों का ब्योरा भी इस दस्तावेज में दिया जाएगा.
फ्रांस के पेरिस स्थित एफएटीएफ को दस्तावेज के जरिए बताया जाएगा कि पाकिस्तानी एजेंसियां किस तरह जैश को धन मुहैया करा रही हैं. एक अन्य अधिकारी ने बताया कि एफएटीएफ की अगली बैठक में भारत पाकिस्तान को काली सूची में डालने के लिए दबाव बनाएगा ताकि पड़ोसी देश के खिलाफ कार्रवाई की जा सक. पेरिस में अगले हफ्ते एफएटीएफ का महाधिवेशन और कार्य समूह की बैठक होंगी. यह भी पढ़ें- पुलवामा आतंकी हमला: CRPF ने जारी की एडवाइजरी, सोशल मीडिया पर शेयर न करें शहीदों के अंगों की फर्जी तस्वीरें
एफएटीएफ की ओर से काली सूची में डालने का मतलब है कि संबंधित देश धनशोधन और आतंक के वित्तपोषण के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में ‘असहयोगात्मक’ रवैया अपना रहा है. यदि एफएटीएफ पाकिस्तान को काली सूची में डाल देता है तो इससे आईएमएफ, विश्व बैंक, यूरोपीय संघ जैसे बहुपक्षीय कर्जदाता उसकी ग्रेडिंग कम कर सकते हैं और मूडीज, एस एंड पी और फिच जैसी एजेंसियां उसकी रेटिंग कम कर सकती हैं. एफएटीएफ ने जुलाई 2018 में पाकिस्तान को संदेह वाली ग्रे सूची में डाल दिया था.
भाषा इनपुट