नई दिल्ली: मकर संक्रांति (Makar Sankranti) पर मोदी सरकार ने सामान्य वर्ग (General Category) के गरीबों को बड़ा तोहफा दिया है. आज से सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से पिछड़े तबके को नौकरियों और शिक्षा में दस फीसदी का आरक्षण मिलेगा. इसके लिए सरकारी अधिसूचना सोमवार को जारी कर दी गई है. हालांकि इस आरक्षण से संबधित विधेयक को निरस्त करने के लिए देश की शीर्ष न्यायालय में याचिका दायर की गई है जिस पर अब तक सुनवाई नहीं हो सकी है.
गरीब सवर्णों को आरक्षण सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आर्थिक आधार पर दिया जाएगा. आरक्षण का लाभ सिर्फ वहीं लें पाएंगे जिनकी सालाना आमदनी 8 लाख रुपए से कम है और जिनके पास पांच एकड़ तक जमीन है.
गौरतलब हो कि आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिये आरक्षण का यह प्रावधान अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गो को मिलने वाले 50 फीसदी आरक्षण से अलग है. यह भी पढ़े- संसद से पास होने के अगले ही दिन सवर्ण आरक्षण के संविधान संशोधन बिल को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
संविधान के 103 संशोधन अधिनियम, 2019 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को मंजूरी दी थी. राज्य सभा ने बुधवार को 124वें संविधान संशोधन विधेयक को सात के मुकाबले 165 मतों से पारित किया था. सदन ने विपक्षी सदस्यों के पांच संशोधनों को अस्वीकार कर दिया. इससे पहले, मंगलवार को लोकसभा ने इसे पारित किया था.
याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि यह आरक्षण संविधान के बुनियादी ढांचे का उल्लंघन होता है क्योंकि सिर्फ सामान्य वर्ग तक ही आर्थिक आधार पर आरक्षण सीमित नहीं किया जा सकता है और 50 फीसदी आरक्षण की सीमा लांघी नहीं जा सकती. सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार किसी भी स्थिति में कुल आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए.
ज्ञात हो कि देश में साल 1931 के बाद से कभी जातिगत जनगणना नहीं हुई. हालांकि 2007 में सांख्यिकी मंत्रालय के एक सर्वे में कहा गया था कि हिंदू आबादी में पिछड़ा वर्ग की संख्या 41% और सवर्णों की संख्या 31% है. इसलिए सवर्ण जातियों को 10 फीसदी आरक्षण देने का फैसला मोदी सरकार को आगामी लोकसभा चुनावों में बहुत फायदा पहुंचा सकता है.