उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UKPCB) द्वारा की गई जांच में, हरिद्वार के गंगा नदी के जल को 'B' श्रेणी में वर्गीकृत किया गया है, जिसका मतलब है कि यह पानी पीने के लिए सुरक्षित नहीं है, लेकिन नहाने के लिए उपयुक्त है. यह रिपोर्ट गंगा जल की गुणवत्ता पर बढ़ती चिंता को उजागर करती है. हर महीने गंगा जल के आठ स्थानों पर परीक्षण किए जाते हैं, और नवंबर माह की जांच में जल की गुणवत्ता 'B' श्रेणी में पाई गई.
राजेंद्र सिंह, उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी ने एएनआई से बात करते हुए बताया, "केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जल की गुणवत्ता को पांच श्रेणियों में बांटा है. 'A' श्रेणी का जल पीने योग्य होता है, जबकि 'E' श्रेणी का जल सबसे ज्यादा विषैला होता है. गंगा जल अब 'B' श्रेणी में आता है, जो नहाने के लिए उपयुक्त है, लेकिन पीने के लिए नहीं."
स्थानीय पुजारी उज्जवल पंडित ने भी गंगा जल की बढ़ती प्रदूषण समस्या पर चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा कि गंगा जल की पवित्रता को मानव मल-मूत्र और अन्य प्रदूषकों के कारण नुकसान हो रहा है. उनका मानना है कि गंगा जल में एक समय वह शुद्धता होती थी, जो आज की स्थिति में नहीं है. वे यह भी कहते हैं कि गंगा जल से कई बीमारियां, यहां तक कि कैंसर जैसी बीमारियां भी ठीक होती थीं, लेकिन अब पानी की शुद्धता में कमी आ रही है.
Ganga Water In Haridwar 'Unsafe' For Drinking: Pollution Control Boardhttps://t.co/lon7RhL9Ps pic.twitter.com/Lgcs8oeHUn
— NDTV (@ndtv) December 4, 2024
गंगा नदी के पानी की बढ़ती प्रदूषण की समस्या भारत के अन्य जलाशयों, जैसे यमुना नदी में भी देखी जा रही है, जहां हाल के दिनों में जहरीले झाग के जमाव की घटनाएं सामने आई हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि अगर समय रहते इस समस्या पर ध्यान नहीं दिया गया, तो यह जल स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरे का कारण बन सकता है.
गंगा नदी का जल, जो एक समय शुद्धता का प्रतीक था, अब प्रदूषण और मानवीय कचरे के कारण नुकसान पहुंचा रहा है. यह केवल हमारे धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर के लिए ही नहीं, बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए भी गंभीर चिंता का विषय बन चुका है. अगर इसे जल्द नहीं सुधारा गया, तो आने वाले वर्षों में गंगा नदी की पवित्रता पर और अधिक सवाल उठ सकते हैं.