लखनऊ, 9 दिसंबर: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के मार्गदर्शन में बीते तीन वर्षो में गोरखपुर और उसके आसपास के जिलों में अभिशाप बन चुकी दिमागी बुखार बीमारी पर अंकुश लगाने में सफलता मिली है. ऐसे में अब स्वस्थ्य पूर्वाचल के संकल्प को लेकर पूर्वाचल के 28 जिलों की स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए एक रोडमैप तैयार किया जाएगा. यह रोडमैप गोरखपुर के दीन दयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय में 'पूर्वाचल का सतत विकास पूर्वी यूपी के लिए एक नई पहल' को लेकर 10 दिसंबर से आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार व संगोष्ठी के दौरान तैयार किया जाएगा.
इसे स्वस्थ्य पूर्वाचल के रूप में सरकार का नया एजेंडा भी कहा जा सकता है. राज्य के नियोजन विभाग के संयोजन में आयोजित होने वाली इस राष्ट्रीय वेबिनार व संगोष्ठी के दौरान ही इसका भी रोडमैप तैयार किया जाएगा कि पूर्वाचल में वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट (ओडीओपी) के जरिये उद्योग-धंधों को कैसे बढ़ावा दिया जाए. पूर्वाचल का सतत विकास तथा पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए एक नई पहल को लेकर 10 से 12 दिसंबर को होने वाले इस राष्ट्रीय वेबिनार व संगोष्ठी का उद्घाटन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ करेंगे. समापन सत्र में केंद्रीय आयुष मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्रीपद यशो नाइक की विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूदगी होगी.
यह समूचा आयोजन मुख्यमंत्री योगी के पूर्वाचल को विकास के हर पैमाने पर अव्वल लाने की सोच का परिणाम है. सूबे के पूर्वाचल क्षेत्र की आबादी छह करोड़ से अधिक है. समूचे पूर्वाचल पर पकृति और परमात्मा की असीम कृपा रही है. यहां की भूमि सबसे उपजाऊ है. गंगा-यमुना और सरयू जैसी नदियां भी इसी क्षेत्र में हैं. पूर्वाचल में बारिश भी खूब होती है. मानव संसाधन भी क्षेत्र में खूब हैं और यहां के लोग बेहद मेहनती हैं. अपने इसी मेहनती स्वभाव के चलते पूर्वाचल के लोगो ने विदेशों तक में अपना परचम लहराया है.
इसके बाद भी पूर्वाचल का पिछड़ापन मुख्यमंत्री आदित्यनाथ को सांसद के रूप में भी सालता रहा है. वह सार्वजनिक रूप से भी इसकी चर्चा करते रहे हैं. अब जब वह सूबे के मुख्यमंत्री हैं तो वह चाहते हैं कि पूवार्ंचल में षि, शिक्षा, चिकित्सा, उद्योग, पर्यटन और अवस्थापना सुविधाओं को बेहतर करने को लेकर देश तथा विदेश के नामी विशेषज्ञ अलग-अलग रोडमैप तैयार करें. जिन्हें पूवार्ंचल के विकास के लिए सरकार लागू करे.
मुख्यमंत्री की इसी सोच के आधार पर अब पूवार्ंचल के 28 जिलों में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने का फैसला हुआ है. इसके लिए चिकित्सा सेक्टर में ऐसे क्या कदम उठाये जाए़ जिनके चलते पूवार्ंचल के 28 जिलों में लोगो को हर बीमारी का सस्ते में आधुनिक इलाज पास में मिल सके. उन्हें मुंबई, दिल्ली या अन्य महानगरों के अस्पतालों में समय और संसाधन खर्च कर इलाज के लिए ना जाना पड़े.
इसके लिए अब गोरखपुर एम्स की देखरेख में 10 से 12 दिसंबर को होने वाले राष्ट्रीय वेबिनार व संगोष्ठी के दौरान देश के सभी एम्स और यूपी के सभी मेडिकल कालेजों के विख्यात डाक्टरों से विचार-विमर्श करेंगे और उसके आधार पर एक रोडमैप तैयार किया जाएगा. इसके साथ ही गोरखपुर एम्स की देखरेख में यूपी के सभी मेडिकल कालेजों को जोड़कर एक नेटवर्क तैयार किया जाएगा. इस नेटवर्क में हर बीमारी और इलाज के सूचनांक दर्ज किये जाएंगे, ताकि गांव और कस्बों के अस्पतालों में भी लोगों का इलाज करने में सुविधा हो.
इसी प्रकार पूवार्ंचल में उद्योग धंधों को बढ़ावा देने के लिए वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोटक्ट (ओडीओपी) योजना यानी एक जिला एक उत्पाद योजना को लाभकारी बताया जा रहा है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ही यूपी के स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए एक जिला एक उत्पाद योजना शुरू की थी. इस योजना की प्रधानमंत्री ने भी सराहना की है. पूर्वाचल में इस योजना के लिए एक बड़ा बाजार तैयार होने की संभावना जताई जा रही है.