क्या सचिन पायलट भी छोड़ेंगे कांग्रेस का साथ? बीजेपी में शामिल होने पर केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत का बड़ा बयान
शेखावत ने कांग्रेस पार्टी पर तीखा हमला भी बोला. उन्होंने कहा कि झूठे वादे करना, बड़े-बड़े भ्रम जाल फैलाना और सत्ता में आने के बाद इन वादों को भूल जाना कांग्रेस पार्टी का स्वभाव बन गया है. यही कारण है कि कांग्रेस पार्टी आज हाशिए पर चली गई है. जनता ने चुनाव के रण में हर जगह उन्हें नकार दिया है. कांग्रेस अब देश को मजहब के नाम पर बांटने का काम कर रही है.
केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने राजस्थान के राजनीतिक घटनाक्रम को लेकर कहा कि थोड़ा इंतजार कीजिए, क्योंकि इंतजार का फल मीठा होता है. दरअसल, उनसे पूछा गया था कि क्या ज्योतिरादित्य सिंधिया की राह पर सचिन पायलट भी चलेंगे? शेखावत ने कहा कि मुझे लगता है कि अभी ऐसी बहुत सारी घटनाएं देश को देखने को मिलेंगी. ज्योतिरादित्य और सचिन ने बहुत साल साथ काम किया है. दोनों एक ही पीढ़ी के नेता हैं. दोनों वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं के परिवार से आते हैं. निश्चित ही दोनों में दोस्ती और आत्मीय संबंध होंगे, लेकिन आगे क्या होगा, इसके लिए थोड़ा इंतजार करना चाहिए, क्योंकि इंतजार का फल हमेशा मीठा होता है.
मीडिया से रू-ब-रू शेखावत ने कांग्रेस पार्टी पर तीखा हमला भी बोला. उन्होंने कहा कि झूठे वादे करना, बड़े-बड़े भ्रम जाल फैलाना और सत्ता में आने के बाद इन वादों को भूल जाना कांग्रेस पार्टी का स्वभाव बन गया है. यही कारण है कि कांग्रेस पार्टी आज हाशिए पर चली गई है. जनता ने चुनाव के रण में हर जगह उन्हें नकार दिया है. कांग्रेस अब देश को मजहब के नाम पर बांटने का काम कर रही है.
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केंद्रीय जलशक्ति मंत्री ने कहा कि कांग्रेस अपनी नीतियों के कारण लगातार अप्रासंगिक होती जा रही है. ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने के सवाल पर उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार बनने के बाद से प्रदेश में उद्योग-धंधे बंद पड़ गए थे. किसान परेशान था. कमलनाथ सरकार ने न जाने किस बात का बदला लेते हुए शिवराज सिंह चौहान के समय जनता के कल्याण के लिए बनी योजनाओं को बंद कर दिया या लगभग मृतप्राय करने की कोशिश की थी. मध्य प्रदेश में हालात निश्चित रूप से चिंताजनक थे.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में जिस वादे को लेकर सत्ता में आई थी, वो था कि हम दस दिनों में किसानों का संपूर्ण कर्ज माफ कर देंगे, लेकिन दुर्भाग्य है कि कर्जमाफी के नाम पर केवल नौटंकी रची गई और खानापूर्ति की गई. दूसरा वादा बेरोजगारों को भत्ता देने का था, लेकिन वे सब आज खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं.