उत्तराखंड का सीएम कौन? सोमवार को हो सकती है BJP विधायक दल की बैठक, पुष्कर सिंह धामी रेस में सबसे आगे
सीएम पुष्कर सिंह धामी (photo Credit: Facebook)

नई दिल्ली: उत्तराखंड (Uttarakhand) में नए मुख्यमंत्री के चयन के लिए विधायक दल (Legislature Party) की बैठक सोमवार को हो सकती है. पार्टी के केंद्रीय पर्यवेक्षक राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) और मीनाक्षी लेखी (Meenakshi Lekhi) की मौजदूगी में उत्तराखंड में चुनाव (Election) जीते तमाम भाजपा (BJP) विधायक (MLA) सोमवार को अपने नेता का चुनाव करेंगे जो प्रदेश के नए मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेंगे. Uttarakhand: सीएम फेस पर सस्पेंस बरकारार, आज फिर होगी दिल्ली में बैठक- कई बड़े नेता रहेंगे मौजूद

भाजपा के एक नेता ने आईएएनएस को बताया कि विधायक दल की बैठक में शामिल होने के लिए पार्टी आलाकमान की तरफ से पर्यवेक्षक बनाए गए केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह और मीनाक्षी लेखी एक दिन पहले यानि रविवार को या फिर उसी दिन सोमवार को देहरादून जा सकते हैं.

आईएएनएस को मिली जानकारी के मुताबिक, सोमवार को विधायक अपने नेता का चयन करेंगे और मंगलवार को राज्य के नए मुख्यमंत्री का शपथ ग्रहण समारोह होगा. 22 मार्च को उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, भाजपा के कई आला नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों के साथ-साथ भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री भी मौजूद रहेंगे.

अपने विधानसभा क्षेत्र खटीमा से चुनाव हारने के बाद मुख्यमंत्री पद के लिए पुष्कर सिंह धामी का दावा थोड़ा कमजोर हो गया है लेकिन बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री की रेस में अभी भी पुष्कर सिंह धामी सबसे आगे चल रहे हैं. दरअसल, धामी युवा हैं और राज्य में मिली जीत का श्रेय भी उन्हें दिया जा रहा है.

अजय भट्ट, सतपाल महाराज, धन सिंह रावत और ऋतु खंडूरी जैसे कई नेताओं की दावेदारी के बीच पुष्कर सिंह धामी कई वजहों से पार्टी आलाकमान के चहेते बने हुए हैं. दरअसल, पिछले 5 वर्ष के कार्यकाल में प्रदेश में तीन मुख्यमंत्री बदलने वाली भाजपा अब अन्य राज्यों की तरह इस पहाड़ी राज्य में भी स्थायित्व का रिकॉर्ड बनाना चाहती है और ऐसे में पार्टी का एक धड़ा यह तर्क दे रहा है कि विधानसभा चुनाव जीतने के बाद नेता बदलना सही नहीं है. धामी का युवा होना भी उनके पक्ष में जा रहा है. तर्क यह भी दिया जा रहा है कि अगर मुख्यमंत्री के चेहरे में बदलाव किया जाता है तो प्रदेश संगठन से लेकर मोदी कैबिनेट तक, कई तरह के बदलाव करने पड़ेंगे.