कोलकाता: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी को चुनाव आयोग ने एक और नोटिस भेजकर जवाब मांगा है. आयोग ने सीएम ममता बनर्जी को 28 मार्च और 7 अप्रैल को केंद्रीय सुरक्षा बलों के खिलाफ दिए उनके बयान को लेकर नोटिस जारी किया है और 10 अप्रैल तक जवाब देने को कहा है. टीएमसी नेता को पहला नोटिस हुगली में चुनाव रैली के दौरान कथित तौर पर सांप्रदायिक आधार पर मतदाताओं से अपील करने के लिए बुधवार को जारी किया गया था. उनसे 48 घंटे के भीतर नोटिस पर जवाब देने के लिए कहा गया था. नड्डा ने उत्तरी बंगाल में रोड शो किया, बोले ‘घरेलू-बाहरी’ की बहस ममता की हताशा दिखाती है
तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने बुधवार को आरोप लगाया था कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के इशारे पर ‘‘बीजेपी की सीआरपीएफ’’ राज्य के मतदाताओं को मतदान केंद्रों में प्रवेश करने से रोक रही है और उनकी जान ले रही है. ममता ने कूच बिहार जिले में यहां एक रैली को संबोधित करते हुए केंद्रीय बल के कर्मियों पर मौजूदा विधानसभा चुनावों के दौरान महिलाओं के साथ छेड़खानी करने और लोगों के साथ मारपीट करने का आरोप लगाया.
Election Commission of India issues notice to CM & TMC leader Mamata Banerjee asking her to explain her stand by 10th April, regarding her statements against Central Forces on 28th March & 7th April
This is the second notice issued to her by Election Commission#WestBengalPolls pic.twitter.com/yO7oy1HLhc
— ANI (@ANI) April 9, 2021
ममता ने कहा, "बीजेपी की सीआरपीएफ महिलाओं को पीट रही है, लोगों को परेशान कर रही है और उनकी जान ले रही है. वे मतदाताओं को मतदान केंद्रों में प्रवेश करने और अपना वोट डालने में बाधा डाल रहे हैं. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उन्हें ऐसा करने का निर्देश दिया है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैंने कभी भी पुलिस को गृह मंत्री (पश्चिम बंगाल की) होने के बाद भी ऐसे आदेश नहीं दिए हैं."
केंद्रीय बल पर अपना हमला जारी रखते हुए उन्होंने कहा कि "मैं सीआरपीएफ का सम्मान करती हूं. लेकिन, उन लोगों का सम्मान नहीं करती जो बीजेपी के इशारे पर काम कर रहे हैं. सीआरपीएफ को जनता को वोट डालने से नहीं रोकना चाहिए."
ममता ने दावा किया कि राज्य में हो रहे चुनावों के दौरान कम से कम 10 लोग मारे गए हैं. उन्होंने चुनाव आयोग से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया था कि सीआरपीएफ के जवान जिम्मेदार भूमिका निभाएं और आगामी पांच चरणों में इस तरह की मौत नहीं हो. उन्होंने कहा, ‘‘10 से अधिक लोगों की हत्या कर दी गयी. यह मेरे समय में कभी नहीं हुआ. हम सभी शांतिपूर्ण मतदान चाहते हैं ताकि लोग अपना वोट डाल सकें. हम शांतिपूर्ण, स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव चाहते हैं.’’
उन्होंने कहा, ‘‘ प्रशासन चुनाव आयोग चला रहा है. कृपया गौर करें कि मतदान प्रक्रिया के दौरान किसी की जान नहीं जाए. मेरा आपसे यह भी अनुरोध है कि कि कृपया देखें कि सीआरपीएफ, सीआईएसएफ, बीएसएफ या आईटीबीपी लोगों को परेशान नहीं करें. किसी को भी लोगों तथा महिलाओं को परेशान करने की अनुमति नहीं है.’’
वहीं, पहले नोटिस में कहा गया कि चुनाव आयोग को बीजेपी के प्रतिनिधिमंडल से शिकायत मिली है जिसमें आरोप लगाया है कि तीन अप्रैल को, बनर्जी ने हुगली में ताराकेश्वर की चुनाव रैली के दौरान मुस्लिम मतदाताओं से कहा कि उनका वोट विभिन्न दलों में न बंटने दें. नोटिस में बनर्जी के हवाले से कहा गया, “ विश्वविद्यालयों तक के लिए कन्याश्री छात्रवृत्ति है। अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों के लिए शिक्षाश्री है. सामान्य वर्ग के लिए स्वामी विवेकानंद छात्रवृत्ति है. अल्पसंख्यक समुदाय के मेरे भाइयों और बहनों के लिए एक्यश्री है और मैंने इसे दो करोड़ 35 लाख लाभार्थियों को दिया है. मैं हाथ जोड़कर अपने अल्पसंख्यक भाई-बहनों से अपने मत शैतान को नहीं देने और अपने मत को बंटने नही देने की अपील करती हूं जिसने बीजेपी से पैसे लिए हैं.”
बनर्जी ने कहा था, “वह कई सांप्रदायिक टिप्पणी करता है और हिंदू-मुस्लिम के बीच झगड़ा करवाता है. वह बीजेपी का प्रचारक है, साथी है. माकपा और बीजेपी के साथी बीजेपी से पैसे लेकर अल्पसंख्यकों के मत बांटने के लिए घूम रहे हैं. उन्हें ऐसा न करने दें. ध्यान रखें कि अगर बीजेपी सत्ता में आती है तो वह बहुत बड़े खतरे में होंगे.”
नोटिस में बताया गया कि बनर्जी ने कहा, “मैं अपने हिंदू भाई-बहनों से भी कहूंगी कि बीजेपी को सुनने के बाद खुद को हिंदू और मुस्लिम में न बांटे.” चुनाव आयोग ने कहा कि उसने पाया है कि उनका भाषण जन प्रतिनिधित्व कानून और आचार संहिता के प्रावधानों का उल्लंघन करता है.