सीएम ममता बनर्जी बोलीं- 'जन गण मन' है राष्ट्र का सम्मान, राष्ट्रगान ने किया देश की जनता को एकजुट
ममता बनर्जी (Photo Credits-ANI)

कोलकाता: राष्ट्रगान 'जन गण मन' (National Anthem Jana Gana Mana) हमारे राष्ट्र का सम्मान है, जिसने देश के विविध धर्मों के लोगों को एकता के सूत्र में पिरोने का काम किया है. दरअसल, आज ही के दिन यानी 27 दिसंबर 1911 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की कोलकाता (तब कलकत्ता) सभा में पहली बार राष्ट्रगान 'जन गण मन' गाया गया था. इस खास दिवस पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री (West Bengal Chief Minister) और तृणमूल कांग्रेस (TMC) की सुप्रीमो ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने कहा है कि राष्ट्रगान राष्ट्र का सम्मान है. राष्ट्रगान 'जन गण मन' ने देश की जनता को एकजुट रखने और उन्हें प्रेरित करने का काम किया है. बता दें कि नोबेल पुरस्कार विजेता और महान लेखक व कवि गुरु रवीन्द्रनाथ टैगोर (Rabindranath Tagore) ने इस गीत की रचना 1905 में बंगाली भाषा में की थी.

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ट्वीट कर लिखा है कि राष्ट्रगान 'जन गण मन' को 1911 में आज ही के दिन पहली बार गाया गया था. वर्षों से हमारे राष्ट्रगान ने हमें एकजुट किया है और राष्ट्र को प्रेरित किया है. राष्ट्रगान की रचना रवीन्द्रनाथ टैगोर ने की थी और यह हमारा गौरव है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रगान आजादी की लड़ाई के समय देश के संघर्ष में बंगाल की भूमिका को दिया गया सबसे बड़ा सम्मान है.

देखें ट्वीट- 

ममता ने कहा कि कवि गुरु रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा लिखे गए इस गीत को राष्ट्रगान का दर्जा मिलना, स्वतंत्रता आंदोलन में बंगाल की अहम भूमिका को भी स्पष्ट करता है. बता दें कि आजादी के बाद 24 जनवरी 1950 को जन गण मन को आधिकारिक तौर पर राष्ट्रगान का दर्जा दिया गया था. इस गीत की रचना बंगाली भाषा में हुई थी, जिसका हिंदी में अनुवाद आबिद अली ने किया था. यह भी पढ़ें: बीजेपी पर खूब बरसी ममता बनर्जी, नागरिकता कानून और एनआरसी पर कमेटी बनाने की मांग की

गौरतलब है कि राष्ट्रगान में कुल 5 पद हैं और इसे पूरा गाने में 52 सेकेंड का समय लगता है, जबकि इसके संस्‍करण को चलाने की अवधि केवल 20 सेकंड है. सबसे खास बात तो यह है कि रवीन्द्रनाथ टैगोर ने न सिर्फ राष्ट्रगान की रचना की, बल्कि उन्होंने इस गीत को गाया भी था. जन गण मन गीत में समाहित कई ऐसे अर्थ हैं जो भारत की विविधता में एकता का वर्णन करते हैं. इस गीत में समाहित इन्हीं खूबियों के कारण इसे राष्ट्रगान का दर्जा दिया गया.