West Bengal Assembly Election 2021: बिहार के बाद अब पश्चिम बंगाल के चुनावी रण में दम दिखाएंगे असदुद्दीन ओवैसी, बीजेपी या टीएमसी किसे होगा नुकसान?
AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी (Photo Credits: Facebook)

कोलकाता: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईए) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव (West Bengal Assembly Election 2021) में उतरने की पूरी तैयारी कर ली है. एआईएमआईएम प्रमुख ने दावा किया कि फुरफुरा शरीफ के ‘पीरजादा’ सिद्दिकी का उन्हें समर्थन हासिल है. बंगाल के हुगली जिले में फुरफुरा शरीफ विख्यात दरगाह है. West Bengal Assembly Election 201: असदुद्दीन ओवैसी बंगाल की यात्रा पर, धार्मिक नेता के साथ बैठक की

मौलाना अब्बास सिद्दिकी से मुलाकात के बाद ओवैसी ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सुप्रीमो ममता बनर्जी पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी को एआईएमआईए पर आरोप लगाने के बजाए खुद का आत्मनिरीक्षण करना चाहिए और देखना चाहिए कि किस तरह से बीजेपी ने राज्य में 18 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की. उन्होंने तृणमूल कांग्रेस के इन दावों को खारिज कर दिया कि उनकी पार्टी बीजेपी की बी-टीम है और भगवा दल के विरोधी वोट में सेंध लगाएगी.

ओवैसी ने मीडिया से कहा कि एआईएमआईए राजनीतिक दल हैं, हम अपनी उपस्थिति साबित करेंगे और पश्चिम बंगाल में चुनाव लड़ेंगे. उन्होंने कहा, ‘‘... भारत की सियासत का मैं लैला हूं और मेरे मजनू बहुत हैं, उससे कोई फर्क नहीं पड़ता.’’ हालांकि एआईएमआईए ने अब तक यह तय नहीं किया है कि राज्य के चुनावी अखाड़े में वह अकेले उतारेगी या किसी अन्य पार्टी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ेगी.

उल्लेखनीय है कि बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के मैदान में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने कमाल कर दिया है. एआईएमआईएम ने शानदार ‘वोट मैनेजमेंट’ से बिहार के कई दिग्गज नेताओं और चुनावी दलों का वोट समीकरण बिगाड़ दिया था.

तृणमूल का आरोप है कि बिहार विधानसभा चुनावों में बीजेपी नीत एनडीए की जीत में एआईएमआईएम का बहुत बड़ा हाथ है. पड़ोसी राज्य में एआईएमआईएम ने 20 सीटों पर चुनाव लड़ा था जिसमें से उसने पांच सीटों पर जीत हासिल की और महागठबंधन ने नौ सीटों पर जीत हासिल की, जबकि एनडीए ने छह सीटें जीतीं. पॉलिटिकल पंडितों की मानें तो पश्चिम बंगाल के मुस्लिम बहुल सीटों पर भी एआईएमआईएम का असर दिखेगा, नतीजतन टीएमसी के वोटबैंक में सेंध लगेगी और बीजेपी को फायदा पहुंचेगा.