Uttarakhand Elections 2022: बीजेपी से निष्कासित मंत्री हरक सिंह रावत का दावा, कांग्रेस पार्टी उत्तराखंड में बनाएगी सरकार, मैं उसके के लिए करूंगा काम
हरक सिंह रावत (Photo Credits : Facebook)

Uttarakhand Assembly Elections 2022: उत्तराखंड में भाजपा के बर्खास्त मंत्री हरक सिंह रावत (Harak Singh Rawat)  के पार्टी में शामिल होने के मुद्दे पर कांग्रेस नेताओं के चुप्पी साधे रहने पर रावत अब खुद खुल कर सामने आ गए हैं. उन्होंने कहा कि वह कांग्रेस के लिए काम करेंगे और पार्टी के साथ बातचीत जारी है. वह दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं. उन्होंने सोमवार को मीडिया से बात करते हुए कहा, "हवा कांग्रेस के पक्ष में चल रही है और मैं सत्ता में आने वाली पार्टी के लिए काम करूंगा. उन्होंने कहा कि कुछ दिनों में स्थिति स्पष्ट हो जाएगी क्योंकि नामांकन की आखिरी तारीख नजदीक है.

पार्टी के धुरंधर रावत 2017 में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे. उनका कहना है कि उस समय परिस्थितियां अलग थीं और वह पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को अपना बड़ा भाई मानते हैं. लेकिन यह पूर्व सीएम हैं, जिन्होंने पिछले कई महीनों से पार्टी में उनका प्रवेश रोक दिया था. सूत्रों ने कहा, क्योंकि हारीश रावत हरक सिंह के नेतृत्व वाले झुंड के विद्रोह को नहीं भूले हैं. यह भी पढ़े: Uttarakhand: मंत्री हरक सिंह रावत के खिलाफ बड़ी कार्रवाई, कैबिनेट से बर्खास्त, कांग्रेस में आज हो सकते हैं शामिल!

हरक सिंह रावत को रविवार को पुश्कर सिंह धामी सरकार से हटा दिया गया. रावत को अनुशासनहीनता के आरोप में छह साल के लिए भाजपा से निष्कासित भी किया गया. भाजपा सूत्रों ने बताया कि रावत विधानसभा चुनाव में अपनी पत्नी सहित अपने परिवार के तीन सदस्यों के लिए टिकट मांग रहे थे। सूत्रों ने कहा, "उन्हें धामी मंत्रिमंडल से हटा दिया गया है और छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है.

पता चला है कि राष्ट्रीय राजधानी में मौजूद रावत के सोमवार को कांग्रेस में शामिल होने की संभावना है। सूत्रों ने कहा, "रावत कांग्रेस नेतृत्व के संपर्क में हैं और उनके पार्टी में शामिल होने की संभावना है. रावत की बहू भी सोमवार को उनके साथ पार्टी में शामिल हो सकती हैं.

पिछले महीने रावत ने कैबिनेट की बैठक छोड़ दी थी और अपने इस्तीफे की घोषणा की थी। उन्होंने अपने विधानसभा क्षेत्र कोटद्वार में एक मेडिकल कॉलेज के लिए बजट की मांग करते हुए इस्तीफा देने की धमकी दी थी और कहा था कि मेडिकल कॉलेज के लिए स्वीकृत पांच करोड़ रुपये पर्याप्त नहीं थे.