UP Elections 2022: वाराणसी से लेकर आजमगढ़ तक इन सीटों पर होगा दिग्गजों का महामुकाबला
इस आखरी चरण के तहत राज्य में सोमवार, 7 मार्च को मतदान होना है. जिन जिलों में मतदान हो रहा है उनमें आजमगढ़, मऊ, जौनपुर, गाजीपुर, चंदौली, वाराणसी, भदोही, मिर्जापुर और सोनभद्र हैं. इस चरण में 613 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला होना है.
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 (Uttar Pradesh Assembly Elections 2022) के सातवें चरण में 9 जिलों की 54 सीटों पर मतदान होगा. इस आखरी चरण के तहत राज्य में सोमवार, 7 मार्च को मतदान होना है. जिन जिलों में मतदान हो रहा है उनमें आजमगढ़, मऊ, जौनपुर, गाजीपुर, चंदौली, वाराणसी, भदोही, मिर्जापुर और सोनभद्र हैं. इस चरण में 613 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला होना है. UP Elections: वाराणसी में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को दिखाए गए काले झंडे.
यूपी में सत्ता के लिहाज से यह चरण बेहद अहम है. इसे लेकर बीजेपी से लेकर सपा, बसपा और कांग्रेस ने अपनी-अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी इस चरण में चुनाव होने हैं. यहां बीजेपी के लिए जीत बेहद जरूरी है. खास बात यह है कि 2014 के आम चुनाव के बाद से इस इस क्षेत्र में पार्टी का प्रदर्शन 'ब्रांड मोदी' के प्रभाव से जुड़ा है.
यहां हम आपको इस चरण की कुछ महत्वपूर्ण सीटों के बारे में बता रहे हैं.
जहूराबाद
गाजीपुर जिले की इस विधानसभा सीट से बीजेपी के पूर्व सहयोगी ओम प्रकाश राजभर बीजेपी के कालीचरण राजभर के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं. 2017 में, ओम प्रकाश ने बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा था और सपा के कालीचरण राजभर को 18,081 मतों से हराया था. कालीचरण राजभर 2002 और 2007 में बीएसपी के टिकट पर जहूराबाद विधानसभा क्षेत्र से विधायक रह चुके हैं.
हालांकि बाद में वे समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए थे. वहीं सपा की पूर्व मंत्री सईदा शादाब फातिमा ने इस बार बसपा के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं. शादाब फातिमा ने साल 2012 में जहूराबाद से चुनाव लड़ा था और उन्होंने ओम प्रकाश राजभर को चुनाव हराया था. इस सीट पर जंग बेहद रोमांचक दिख रही है.
रोहनिया
वाराणसी में रोहनिया सीट महत्वपूर्ण है क्योंकि यह केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल के नेतृत्व वाली बीजेपी की सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) के लिए एक मजबूत मैदान है. 2017 में बीजेपी के सुरेंद्र नारायण सिंह ने सीट जीती थी. लेकिन 2022 में अपना दल ने इस सीट से अपने पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष सुनील पटेल को मैदान में उतारा. 2017 में अपना दल ने 11 सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन 2022 में यूपी चुनाव में पार्टी 17 सीटों पर चुनाव लड़ रही है.
इस सीट पर पटेल मतदाताओं की बड़ी संख्या है जो इसे अपना दल की मजबूत सीट बनाती है. दरअसल, वाराणसी के आठ जिलों में से 3 सीटें; सेवापुरी, रोहनिया और पिंडारा में बड़ी संख्या में पटेल मतदाता हैं. जिससे अनुप्रिया पटेल ने बीजेपी के साथ इस सीट के लिए सौदेबाजी की. इसके अलावा, बसपा, सपा और कांग्रेस ने भी पटेल वोट हासिल करने के लिए रोहनिया में पटेल उम्मीदवारों को खड़ा किया है. जहां सपा पटेल, यादव, मुस्लिम वोट हासिल करना चाहती है, वहीं बसपा जाटव, ब्राह्मण और पटेल वोटों पर भी निर्भर है.
इस सीट पर कांग्रेस ने राजेश्वर पटेल, सपा-अपना दल (कमेरावादी) गठबंधन ने अभय पटेल और बसपा ने अरुण सिंह पटेल पर दांव लगाया है.
मुगलसराय
चंदौली जिले की मुगलसराय सीट से 2022 में बीजेपी ने रमेश जायसवाल पर दांव लगाया है. इससे पहले 2017 में बीजेपी की साधना सिंह ने सीट जीती थी लेकिन इस बार उन्हें टिकट नहीं दिया गया. जायसवाल मुगलसराय की गल्ला मंडी में एक धनी व्यापारी है और उन्हें व्यापारियों का भरपूर समर्थन प्राप्त है. अपने परिवार के साथ, वह वर्षों से बीजेपी के कार्यकर्ता हैं. मुगलसराय में बीजेपी की रणनीति ओबीसी, ब्राह्मण और ट्रेडर्स एसोसिएशन का समर्थन हासिल करना है. जायसवाल का इस सभी से गहरा नाता है.
जायसवाल का मुकाबला यहां सपा के चंद्रशेखर यादव, कांग्रेस के छब्बू पटेल और आप के सज्जाद अंसारी से है.
वाराणसी दक्षिण
इस सीट पर 3 दशक से बीजेपी की सत्ता कायम है. इस सीट पर बीजेपी के मंत्री और डॉ. नीलकंठ तिवारी एक बात फिर मैदान में हैं. उनके सामने सपा ने महामृत्युंजय मंदिर के महंत कामेश्वर नाथ दीक्षित उर्फ किशन को उतारा है. बसपा ने यहां से दिनेश कसौधन गुप्ता और कांग्रेस की मुदिता कपूर को मैदान में उतारा है. अब देखना यह होगा कि अन्य पार्टियां यहां जीत हासिल करने में कामयाब हो पाती हैं या बीजेपी का रिकॉर्ड कायम रहता है.
मऊ सदर
सातवें चरण में एक बहुत ही दिलचस्प लड़ाई गाजीपुर जिले के मऊ सदर में है, जहां पूर्वांचल डॉन मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी SBSP के टिकट पर अपने पिता की पारंपरिक सीट पर चुनाव लड़ रहे हैं. 1996 के बाद यह भी पहली बार है कि पूर्वांचल बाहुबली मुख्तार अंसारी इस सीट से चुनाव नहीं लड़ रहे हैं. मुख्तार ने 1996 से लगातार पांच बार सीट जीती है.
2017 में भी, जेल में रहते हुए, मुख्तार ने बहुजन समाज पार्टी (बसपा के टिकट) पर चुनाव लड़ा और सीट जीती. उन्होंने एसबीएसपी के महेद्र राजभर को 8,698 मतों से हराया. इस बार इस सीट से उनके बेटे अब्बास अंसारी मैदान में हैं. अब्बास का मुकाबला यहां बीजेपी के अशोक सिंह और बसपा के भीम राजभर से है.