Tripura Municipal Elections 2021: वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) ने शुक्रवार को त्रिपुरा नगरपालिका चुनाव के संबंध में सुप्रीम कोर्ट से तत्काल हस्तक्षेप की मांग करते हुए दावा किया कि राज्य में हिंसा जारी है. सिब्बल ने न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष मामले का उल्लेख किया. उन्होंने प्रस्तुत किया कि समाचार रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि त्रिपुरा में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के शीर्ष अदालत के आदेश का उल्लंघन किया गया है. त्रिपुरा निकाय चुनाव: 81.54 प्रतिशत मतदान, विपक्ष ने लगाया धांधली का आरोप
सिब्बल ने कहा, "उम्मीदवारों को बूथों में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी गई! सीएपीएफ के 2 कांस्टेबल, 2 बटालियन प्रदान नहीं किए गए! पूरी तबाही है! कृपया इसे (मामले की सुनवाई) आज दोपहर में लें! जो हुआ वह भयानक है हमारे पास जमीन पर मौजूद लोगों की तस्वीरें हैं, जो दिखाती हैं कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया गया!"सिब्बल ने जोर देकर कहा कि यह एक बहुत ही गंभीर मामला है और शीर्ष अदालत से इस मामले की सुनवाई शुक्रवार या शनिवार को करने का आग्रह किया.
इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि बेंच का आज का शेड्यूल बेहद टाइट (पीठ के पास समय नहीं है) है. उन्होंने आगे कहा, "मैं इसे दोपहर के भोजन के बाद देखता हूं और अपने बंधुओं के साथ चर्चा करता हूं क्योंकि बेंच की संरचना भी अलग है."शीर्ष अदालत ने गुरुवार को केंद्र को निर्देश दिया था कि वह त्रिपुरा में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की दो अतिरिक्त कंपनियों को जितनी जल्दी हो सके, दिन में होने वाले नगरपालिका चुनावों के लिए तैनात करे.
जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़, सूर्यकांत और विक्रम नाथ की पीठ ने कहा था, "हम केंद्रीय गृह मंत्रालय को किसी भी सीएपीएफ की अतिरिक्त दो कंपनियां जल्द से जल्द उपलब्ध कराने का निर्देश देते हैं. इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि मतदान पहले ही शुरू हो चुका है और मतदान केंद्रों को सुरक्षित करने के लिए यह जरूरी है, ताकि बिना किसी गड़बड़ी या अव्यवस्था के मतदान हो सके."
शीर्ष अदालत तृणमूल कांग्रेस और अन्य की अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें दावा किया गया है कि राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति खराब हो रही है. इसमें कहा गया है कि स्थानीय निकाय चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है और सरकारी अधिकारियों ने सुरक्षा व्यवस्था को लेकर शीर्ष अदालत के निर्देश का पालन नहीं किया है.