बिहार की राजनीति में नया बवंडर: वोटर लिस्ट से तेजस्वी यादव का नाम गायब, चुनाव आयोग पर बड़े सवाल

बिहार की सियासत में एक नया भूचाल आ गया है. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने दावा किया है कि उनका नाम ही वोटर लिस्ट से काट दिया गया है. शनिवार को पटना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके उन्होंने यह चौंकाने वाली जानकारी दी. इस घटना ने बिहार में वोटर लिस्ट को लेकर चल रहे विवाद को और हवा दे दी है.

"जब मेरा ही नाम नहीं, तो चुनाव कैसे लड़ूंगा?" - तेजस्वी यादव

तेजस्वी यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपना वोटर आईडी कार्ड दिखाया और जब उसका EPIC नंबर ऑनलाइन चेक किया, तो स्क्रीन पर "NO RECORDS FOUND" लिखा आया. उन्होंने बताया कि चुनाव आयोग की कर्मचारी (BLO) खुद उनके घर आकर वेरिफिकेशन करके गई थीं, फिर भी उनका नाम लिस्ट से गायब है.

जब पत्रकारों ने उनकी पत्नी राजश्री के वोटर कार्ड के बारे में पूछा, तो उन्होंने कहा, "जब मेरा ही नाम लिस्ट में नहीं है, तो मेरी पत्नी का कैसे बन जाएगा?" उन्होंने चुनाव आयोग पर सवाल उठाते हुए पूछा, "अब मैं चुनाव कैसे लड़ूंगा?"

तेजस्वी के चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप

तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग पर धांधली करने और "गोदी आयोग" की तरह काम करने का आरोप लगाया. उनका कहना है कि यह सब "दो गुजरातियों" के इशारे पर हो रहा है. उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने बिना किसी राजनीतिक दल से सलाह-मशविरा किए यह कदम उठाया है.

उनके मुख्य आरोप इस प्रकार हैं:

  • बड़े पैमाने पर नाम काटे गए: तेजस्वी का दावा है कि पूरे बिहार में लगभग 65 लाख वोटरों के नाम हटा दिए गए हैं, जो कुल वोटरों का करीब 8.5% है. उनका कहना है कि हर विधानसभा क्षेत्र से 20 से 30 हजार नाम काटे गए हैं.
  • पारदर्शिता की कमी: उन्होंने आरोप लगाया कि आयोग ने जिन लोगों के नाम काटे हैं, उनकी कोई जानकारी पार्टियों को नहीं दी गई. लिस्ट तो दी गई, लेकिन उसमें किसी का पता नहीं है, जिससे यह पता लगाना मुश्किल है कि कौन असली है और कौन फर्जी.
  • गरीबों को निशाना बनाया गया: तेजस्वी ने कहा कि उन्होंने पहले ही आशंका जताई थी कि इस प्रक्रिया में सबसे ज्यादा गरीब और वंचित लोगों के नाम काटे जाएंगे.
  • सुप्रीम कोर्ट की अनदेखी: उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के सुझावों को भी नजरअंदाज किया गया है.

तेजस्वी ने मुख्य चुनाव आयुक्त को चुनौती दी है कि वे बूथ के हिसाब से डेटा जारी करें और बताएं कि हर एक व्यक्ति का नाम क्यों काटा गया.

चुनाव आयोग का क्या कहना है?

दूसरी तरफ, चुनाव आयोग ने वोटर लिस्ट की सफाई के लिए चलाए गए एक महीने के अभियान के बाद आंकड़े जारी किए हैं. आयोग के मुताबिक, बिहार की वोटर लिस्ट से करीब 65.64 लाख नाम हटाए गए हैं.

आयोग ने नाम काटने की वजहें भी बताई हैं:

  • 22.34 लाख लोगों की मृत्यु हो चुकी है.
  • 36.28 लाख लोग दूसरी जगह शिफ्ट हो गए हैं.
  • 7.01 लाख लोगों के नाम दो जगहों पर थे.

कहां कितने नाम कटे?

आंकड़े बताते हैं कि सबसे ज्यादा 3.95 लाख नाम पटना जिले में काटे गए हैं. वहीं, मुस्लिम बहुल माने जाने वाले सीमांचल के चार जिलों और दरभंगा में कुल 9.65 लाख वोटरों के नाम हटाए गए हैं.

दिलचस्प बात यह है कि जहां NDA का गढ़ माने जाने वाले तिरहुत और दरभंगा के 9 जिलों में 21 लाख से ज्यादा नाम कटे हैं, वहीं महागठबंधन के मजबूत इलाके माने जाने वाले पटना और मगध के 11 जिलों में करीब 16.57 लाख वोटरों के नाम लिस्ट से गायब हैं.

यह मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है. तेजस्वी यादव के सीधे आरोपों के बाद बिहार की राजनीति गरमा गई है. अब देखना यह है कि चुनाव आयोग इन आरोपों का क्या जवाब देता है और यह विवाद आगे क्या मोड़ लेता है.