श्रीनगर: यहां पुलवामा (Pulwama) में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकी हमले के बाद जम्मू एवं कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक (Satya Pal Malik) और कुछ कश्मीर नेताओं के बीच जुबानी जंग छिड़ गई. हमले में 45 जवान शहीद हो गए थे. हमले के तत्काल बाद राज्यपाल टीवी पर आए और उन्होंने आत्मघाती हमले के विरुद्ध कश्मीर नेताओं की चुप्पी पर सवाल उठाए. राज्यपाल की ओर से सवाल उठाए जाने के बाद उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) ने शुक्रवार को ट्वीट किया कि सरकार को मीडिया साक्षात्कार देना बंद करना चाहिए और जमीनी स्तर पर स्थिति को नियंत्रित करना चाहिए.
अब्दुल्ला ने ट्वीट किया, "प्रिय राज्यपाल मलिक, आपके लिए उस शख्स की अनचाही सलाह जिसने छह वर्ष जम्मू एवं कश्मीर में सरकार चलाई, कृपया साक्षात्कार देना बंद कीजिए. यह काम अपने सलाहकारों पर छोड़ दीजिए. आप अपने तरीके से बातचीत के जरिए स्थिति को और खराब बना रहे हैं." उन्होंने कहा कि राज्यपाल विमान में बैठकर श्रीनगर जाएं, घायलों से मिलें. इसके साथ ही एकीकृत मुख्यालय(यूएचक्यू) की बैठक बुलाएं.
नेशनल कांफ्रेंस (National Conference) के नेता ने कहा कि पुलवामा में हमले के बाद इसे गुरुवार को हो जाना चाहिए था, लेकिन मलिक दूसरे पर आरोप मढ़ने में व्यस्त थे. पीडीपी नेता और राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती भी इस बहस में कूद गईं. महबूबा ने ट्वीट किया, "हमले के बाद, भाजपा अध्यक्ष ने राम मंदिर बनाने की बात कही. एक मंत्री राजनीतिक गठबंधन करने के लिए चेन्नई जाता है.
संवेदनहीनता की पराकाष्ठा. परिवार को सांत्वना देने के बदले उरी फिल्म के डॉयलॉग बोलने से काम नहीं चलेगा. वे वोट जुटाने में व्यस्त हैं. दोहरे मानदंड." अब्दुल्ला हमले के बाद गुरुवार को ट्विटर पर केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह के साथ बहस में उलझ गए थे.
प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) में राज्य मंत्री सिंह ने आतंकवादी गतिविधियों की निंदा करने को लेकर कश्मीरी मुख्यधारा की पार्टियों पर सवाल उठाए. अब्दुल्ला ने गुरुवार को ट्वीट किया, "इस मंत्री को अपने बयान पर शर्म आनी चाहिए! कश्मीरी राजनेताओं ने प्रधानमंत्री के कुछ भी कहने से पहले ही घटना की निंदा कर दी थी. इस आदमी के पास शहीद और घायल सीआरपीएफ जवानों के साथ राजनीति करने का दुस्साहस है."