चुनाव में मिली जीत के बाद उद्धव ठाकरे अपने सांसदों के साथ जाएंगे अयोध्या, शिवसेना ने फिर उठाई राम मंदिर निर्माण की मांग
शिवसेना को लोकसभा चुनाव में मिली जीत के बाद उद्धव ठाकरे अपने सांसदों के साथ अयोध्या में भगवन राम के दर्शन के लिए एक बार फिर जाने वाले हैं.
मुंबई: लोकसभा चुनाव के परिणाम आये अभी एक हफ्ते भी नहीं बीते कि देश के सबसे चर्तित मुद्दों में राम मंदिर निर्माण का मुद्दा फिर से गरमाने जा रहा है. दरअसल एनडीए (NDA) को इस चुनाव में मिली प्रचंड जीत के बाद पीएम मोदी (PM Modi) 30 मई (गुरुवार) को शपथ ग्रहण करने जा रहे हैं. इस शपथ ग्रहण में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) अपने सांसदों के साथ समारोह में शामिल होने जा रहे है. इस बीच उनके बारे में ऐसा कहा जा रहा है कि वे अपने नवनिर्वाचित सांसदों के साथ अयोध्या दर्शन के लिए जाएंगे. शिवसेना के नेताओं के अयोध्या दर्शन के बाद एक बार राम मंदिर का मुद्दा फिर से गर्मा सकता है.
शिवसेना के सामन संपादकीय में राम मंदिर को लेकर लिखा गया है कि कि प्रभु रामचंद्र का काम करना है और श्रीराम का काम होगा ही, ऐसा वचन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने दिया है. देश की सत्ता में श्रीराम के विचारों वाली सरकार आई है. देश में रामराज्य निर्माण हो इसीलिए करोड़ों जनता ने मोदी को खुलकर वोट दिया है ये सब प्रभु श्रीराम की ही कृपा है. अयोध्या में राम मंदिर बने और उसके लिए कोशिश की जाए यह कोई अपराध नहीं है. संपादकीय में यह भी कहा गया है कि राम इस देश की पहचान और अस्मिता हैं. अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हो, इसके लिए सैकड़ों कारसेवकों ने बलिदान दिया है. उनकी शहादत और खून को व्यर्थ नहीं जाने देंगे. यह भी पढ़े: संघ सरकार्यवाह भैयाजी जोशी बोले, राम मंदिर बनने तक जारी रहेगा आंदोलन, मोदी सरकार पर जताया भरोसा
शिवसेना ने कांग्रेस को रावण, विभीषण, कंस बताया
सामन के संपादकीय में कांग्रेस पार्टी को मिली करारी हार को लेकर तंज कसा गया है. कांग्रेस पार्टी के बारे में कहा गया है कि जिन लोगों ने राम के काम को रोकने की कोशिश की उस रावण, विभीषण, कंस मामा वगैरह टोलियों को जनता ने घर बैठा दिया.
बता दें कि लोकसभा चुनाव से पहले उद्धव ठाकरे राम मंदिर निर्माण को लेकर अयोध्या गए थे. जहां पर उन्होंने कहा था कि यदि कोई भगवन राम का मंदिर नहीं बनवा पा रहा है तो उनकी पार्टी अब राम मंदिर बनवाएगी. आपको बता दें कि शिवसेना इस लोकसभा चुनाव में बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ी थी. जिस चुनाव में बीजेपी को 23 तो वहीं शिवसेना को 18 सीटें मिली है. 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी और शिवसेना को इतनी ही सीटें जितने में कामयाब हुई थी.