मध्य प्रदेश सियासी संकट: बीजेपी बदल सकती है रणनीति, कमलनाथ सरकार को झटका देने के लिए उठा सकती है ये कदम
मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार पर संकट के बादल छंटते नजर नहीं आ रहे हैं. कांग्रेस से बगावत कर बेंगलुरू गए विधायक भी कथित तौर पर भोपाल पहुंचकर राजभवन में राज्यपाल के समक्ष पेश हो सकते हैं.
भोपाल: मध्य प्रदेश की कमलनाथ (Kamal Nath) सरकार पर संकट के बादल छंटते नजर नहीं आ रहे हैं. कांग्रेस से बगावत कर बेंगलुरू गए विधायक भी कथित तौर पर भोपाल पहुंचकर राजभवन में राज्यपाल के समक्ष पेश हो सकते हैं. दावा यह भी किया जा रहा है कि विधायक बेंगलुरू में मीडिया के सामने आकर अपनी बात कह सकते हैं. दिग्गज नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) के कांग्रेस छोड़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में शामिल होने के बाद से पार्टी के 22 विधायक अपनी सदस्यता से इस्तीफा दे चुके हैं. त्याग-पत्र देने वाले छह विधायक राज्य में मंत्री थे, जिन्हें पहले ही बर्खास्त कर दिया गया और बाद में उनकी सदस्यता खत्म की गई. वर्तमान में 21 विधायक बेंगलुरू में हैं.
कांग्रेस विधायकों को बेंगलुरू ले जाने में अहम भूमिका निभाने वाले भाजपा विधायक अरविंद भदौरिया (Arvind Bhadoriya) ने कहा, "विधायक वहां बंधक नहीं हैं, वे अपनी बात पत्र और वीडियो के माध्यम से कह रहे हैं. साथ ही वे सोमवार को मीडिया के सामने आकर अपनी बात रख सकते हैं. जरूरत पड़ने पर विधायक राजभवन जाकर राज्यपाल (लालजी टंडन) के समक्ष पेश भी हो सकते हैं." सिंधिया के करीबी सूत्रों ने कहा, "बेंगलुरू में चार्टर प्लेन तैयार हैं, और विधायक सिंधिया के इशारे के इंतजार में हैं. निर्देश मिलते ही वे अपना अगला कदम बढ़ाएंगे." वहीं, दूसरी ओर भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के साथ सिंधिया की बैठकों का दौर रविवार को जारी रहा और आज (सोमवार) भी इस बाबत संवाद जारी है. यह भी पढ़ें: मध्य प्रदेश सियासी संकट: कोरोनावायरस ने कमलनाथ सरकार को गिरने से बचाया
गौरतलब है कि गोविंद सिंह राजपूत (Govind Singh Rajput), प्रद्युम्न सिंह तोमर (Praduman Singh Tomar), इमरती देवी (Imarti devi), तुलसी सिलावट (Tulsi Silawat), प्रभुराम चौधरी (Prabhuram Choudhary), महेंद्र सिंह सिसोदिया (Mahendra Singh Sisidia) की सदस्यता समाप्त की जा चुकी है. विधायक हरदीप सिंह डंग, जसपाल सिंह जज्जी, राजवर्धन सिंह, ओपीएस भदौरिया, मुन्ना लाल गोयल, रघुराज सिंह कंसाना, कमलेश जाटव, बृजेंद्र सिंह यादव, सुरेश धाकड़, गिरराज दंडौतिया, रक्षा संतराम सिरौनिया, रणवीर जाटव, जसवंत जाटव, एदल सिंह कंसाना, मनोज चौधरी व बिसाहू लाल सिंह ने भी इस्तीफे दिए हैं. इनमें से कई विधायक अपना इस्तीफा मंजूर करने का दोबारा अनुरोध विधानसभाध्यक्ष से कर चुके हैं.
राज्य में भाजपा के 107 विधायक हैं, मगर पार्टी की ओर से 106 विधायकों ने सोमवार को राजभवन पहुंचकर शपथ पत्र दिए और कांग्रेस की कमलनाथ सरकार के अल्पमत होने की बात कही. भाजपा के एक विधायक नारायण त्रिपाठी के भाजपा के साथ न होने की बात कही जा रही है. पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि "कमलनाथ की सरकार अल्पमत की है और उसे सिर्फ 92 विधायकों का समर्थन हासिल है. भाजपा को बहुमत हासिल है. भाजपा के पास 106 विधायक हैं." यह भी पढ़ें: मध्य प्रदेश सियासी संकट: शिवराज सिंह चौहान का कांग्रेस पर बड़ा हमला, कहा- कांग्रेस के पास नहीं मैजिक फिगर, टाइम काटू, काम कर रहे हैं कमलनाथ
उन्होंने कहा, "भाजपा विधायक राज्यपाल के सामने उपस्थित हुए हैं. कांग्रेस बहुमत साबित करने से भाग रही है. राज्यपाल ने आश्वस्त किया है कि विधायकों के संवैधानिक हितों की रक्षा करेंगे." विशेषज्ञों का कहना है कि यदि कांग्रेस से बगावत करने वाले 16 विधायक भी राज्यपाल के समक्ष पेश होकर सरकार के खिलाफ अविश्वास व्यक्त करते हैं, तो ऐसी स्थिति में सरकार के विरोध में 122 विधायक हो जाएंगे और कांग्रेस सरकार का ज्यादा चल पाना संभव नहीं होगा.