विधानसभा चुनाव (Assembly Election) अपने अंतिम चरण पर हैं. इस क्रम में अब राजस्थान (Rajasthan) में 7 दिसंबर को मतदान होने हैं. इस चुनाव के लिए बीजेपी (BJP) और कांग्रेस (Congress) दोनों ने प्रचार में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए यह चुनाव प्रतिष्ठा का प्रश्न है. एक ओर बीजेपी के लिए जहां पीएम नरेंद्र मोदी (PM Nrendra Modi) और पार्टी अमित शाह (Amit Shah) समेत तमाम दिग्गज नेता इस चुनाव में अपने दिन-रात एक कर रहें हैं तो कांग्रेस भी इस रण में बीजेपी को कांटे की टक्कर दे रही है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) इस चुनाव के लिए नाप-तोल कर समय-समय पर बीजेपी के खिलाफ चुनावी पासा फेंक रहे हैं.
राजस्थान के चुनावी दंगल में बीजेपी जहां अपनी सत्ता बचाने के लिए दम भर रही है तो वहीं कांग्रेस इस रण में बीजेपी को बाहर का रास्ता दिखाने के साथ सत्ता की कुर्सी पर काबिज होने के ख्वाब को पूरा करने की जद्दोजहत में लगी है. राजस्थान के रण में बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने सूझ-बूझ के साथ अपने उम्मीदवार चुने हैं.
राजस्थान चुनाव के प्रमुख उम्मीदवार
वसुंधरा राजे: राजस्थान की वर्तमान मुख्यमंत्री और राज्य में बीजेपी का चेहरा वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) झालरापाटन (Jhalrapatan) सीट से उम्मीदवार हैं. राज्य में इस बार उनके प्रति लोगों में नाराजगी जरुर दिख रही है लेकिन वाबजूद इसके वे बीजेपी का चेहरा हैं. झालावाड़ वसुंधरा राजे का गढ़ है. इसी लोकसभा इलाके में झालरापाटन सीट है. राजे इस लोकसभा सीट से लगातार पांच बार सांसद रही हैं और उनके बाद इस सीट से उनके पुत्र दुष्यंत सिंह तीन बार से चुनाव जीत रहे हैं. वसुंधरा राजे झालरापाटन सीट से लगातार 2003 से विधायक का चुनाव जीतती आ रही हैं. उनके विजय रथ को रोकने के लिए कांग्रेस कई प्रयोग कर चुकी है, यहां तक कि प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट की मां रमा पायलट भी उनके खिलाफ चुनाव लड़ चुकी हैं लेकिन कामयाबी नहीं मिल सकी है.
सचिन पायलट: राज्य में बीजेपी के चुनावी रथ को रोकने के लिए कांग्रेस ने सचिन पायलट (Sachin pilot) को सुनामी बनाकर इस मैदान में उतारा है. राजस्थान चुनाव में कांग्रेस का सबसे बड़ा चेहरा बने पायलट बीजेपी के आंकड़े को बिगाड़ने का पूरा दम-खम रखते हैं. सचिन पूर्व केंद्रीय मंत्री राजेश पायलट के बेटे हैं और गुज्जर समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं. वर्तमान में, पायलट राज्य के प्रदेश कांग्रेस कमेटी प्रमुख हैं और उन्होंने टोंक निर्वाचन क्षेत्र से नामांकन दायर किया है. लोकसभा चुनाव में राजस्थान से सूपड़ा साफ होने के बाद कांग्रेस ने प्रदेश की कमान युवा नेता सचिन पायलट के हाथों में थमाई थी. तब से सचिन पायलट लगातर कॉडर का आधार बढ़ाने के लिए जमीनी स्तर पर मेहनत कर रहे हैं. अब विधानसभा चुनाव में उनकी यह मेहनत कांग्रेस को सफलता की सीढियां चढ़ा सकती है.
अशोक गहलोत: राजस्थान के मुख्यमंत्री रह चुके अशोक गहलोत (Ashok gehlot) इस चुनाव में बड़ा उलटफेर कर सकते हैं. कभी छात्रसंघ चुनाव हार चुके गहलोत ने मेहनत और लगन से केंद्रीय मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री जैसे तमाम बड़े पदों तक का सफर तय किया है. ब्राह्मण, क्षत्रिय और जाटों की प्रभाव वाली राजस्थान की राजनीति में 1998 में पहली बार माली समाज से ताल्लुक रखने वाले अशोक गहलोत मुख्यमंत्री बने. मुख्यमंत्री रहते हुए गहलोत ने पानी बचाओ, बिजली बचाओ, सबको पढ़ाओ का नारा देकर आम लोगों को जागरूक किया था. इसके अलावा वे भारत सेवा संस्थान, के संस्थापक भी है. यह संस्था गरीबों को मुफ्त किताबें और एम्बुलेंस की सुविधा मुहैया कराती है. वर्तमान में अशोक गहलोत अपनी परंपरागत सीट सरदारपुरा से कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ रहे है. उनका मुकाबला बीजेपी के शंभू सिंह खेतासर से है. राज्य की जनता के लिए कई मुख्य काम करने की वजह से गहलोत पार्टी में राज्य के संभावित मुख्यमंत्री के तौर पर भी देखे जा रहें हैं.
गुलाब चंद कटारिया: बीजेपी के नगर विधायक और राज्य सरकार के गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया(Gulab Chand Kataria) राजस्थान के रण में बीजेपी का दूसरा बड़ा चेहरा हैं. उदयपुर शहर से प्रत्याशी गृहमंत्री गुलाबचंद इस सीट से लगातार हैट्रिक कर चुके हैं. इस बार भी कटारिया राज्य के इसी सीट से चुनाव लड़ रहे हैं और पिछले तीन बार की तरह इस बार भी वे इस सीट को अपने नाम कर लेते हैं तो कांग्रेस के सपने एक बार फिर टूट सकते हैं.
मानवेंद्र सिंह : राजस्थान चुनाव में इस बार हर किसी की निगाहें झालरापाटन विधानसभा सीट पर टिकी हैं. झालावाड़ जिले में आने वाली झालरापाटन सीट पर इस बार टक्कर राज्य की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह के बेटे मानवेंद्र सिंह (Manvendra Singh) के बीच है. वसुंधरा राजे का झालावाड़ से 30 साल का पुराना नाता रहा है और वो इसे ही चुनाव में भुनाना चाहती हैं. जबकि मानवेंद्र सिंह चुनाव से कुछ ही महीने पहले बीजेपी छोड़ कर कांग्रेस में शामिल हुए हैं. कांग्रेस का मकसद है राजपुत समाज के वोटरों को रिझाना. राजपुत वोट बैंक पर बीजेपी का कब्जा रहा है. हालंकि इस बार राजपूतों से सीएम वसुंधरा राजे की नाराजगी का सीधा फायदा कांग्रेस को मिल सकता है. मानवेंद्र सिंह ने झालारापाटन में अपनी पूरी ताकत को झोंक दिया है ऐसे में अब राजपूत क्या फैसला लेते हैं इसी से बीजेपी और कांग्रेस का भविष्य तय होगा.
सीपी जोशी: दस साल पहले महज एक वोट से चुनाव हारकर मुख्यमंत्री बनने से चूक गए दिग्गज कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सीपी (C P Joshi) जोशी एक बार फिर श्रीनाथ जी की नगरी नाथद्वारा विधानसभा क्षेत्र से मैदान में हैं और कभी कांग्रेस में अपने सिपहसालार रहे महेश प्रताप सिंह से ही जूझ रहे हैं, जो बीजेपी के टिकट पर अपने गुरु को चुनौती दे रहे हैं. हालांकि कांग्रेस कार्यकर्ताओं को पूरी उम्मीद है कि इस बार भगवान श्रीनाथ जी का आशीर्वाद नाथद्वारा के इस बेटे को जरूर मिलेगा और श्रीनाथ जी कृपा से सीपी जोशी राजस्थान में सबसे ज्यादा मतों के अंतर से जीतेंगे.जोशी राजस्थान के रण में बड़े नेता हैं और उनके पास विकास की एक दृष्टि है. उन्होंने अपने पुराने कार्यकाल में नाथद्वारा के लिए काफी काम किया है.