मुंबई: महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के अध्यक्ष राज ठाकरे ने शनिवार को कहा कि मुंबई के पास अरब सागर में छत्रपति शिवाजी महाराज का प्रस्तावित भव्य स्मारक बनाना मुश्किल और बेहद महँगा होगा.
स्मारक का प्रस्ताव सबसे पहले वर्ष 2004 में तत्कालीन कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी सरकार द्वारा रखा गया था. फिर बाद में भारतीय जनता पार्टी-शिवसेना सरकार और शिवसेना-कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी सरकार द्वारा इसे आगे बढ़ाया गया. वर्तमान में शिव सेना-भाजपा-राकांपा (अजित पवार गुट) शासन के तहत अब भी यह एक 'जीवित मुद्दा' बना हुआ है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 24 दिसंबर 2016 को मोटरबोट में जाकर मरीन ड्राइव समुद्र तट के सामने 1.5 किलोमीटर दूर प्रस्तावित स्थल पर 'जल पूजा' करने के बाद इस परियोजना के बड़े पैमाने पर शुरू होने की उम्मीद थी.
राज ठाकरे ने स्पष्ट रूप से कहा कि इन सभी सरकारों द्वारा किए गए वादों के बावजूद, "मुंबई के पास समुद्र में छत्रपति शिवाजी महाराज का स्मारक बनाना असंभव और अव्यवहार्य है."
प्रतिमा के न्यूयॉर्क बंदरगाह पर स्थित स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी (अक्टूबर 1886) से भी ऊंची होने के दावों को मूर्खतापूर्ण बताते हुए राज ठाकरे ने कहा कि वह एक छोटे चट्टानी द्वीप पर बनाई गई है जो समुद्र तल पर मजबूती से स्थापित है. यह भी पढ़े :Lok Sabha Seats: एनडीए गठबंधन के सीट शेयरिंग पर बोले उपमुख्यमंत्री फडणवीस, कहा – बैठक में 80 प्रतिशत मुद्दे हुए हल- Video
राज ठाकरे ने आठ साल पहले दिए अपने बयान को दोहराते हुए कहा, “यहाँ, ऐसी कोई बात नहीं है। सरकार को कृत्रिम टापू बनाना होगा. आज की दर से मैं कह सकता हूं कि इसकी लागत कम से कम 25-30 हजार करोड़ रुपये होगी. वहाँ प्रतिमा बनाना संभव ही नहीं है.''
उन्होंने इतना पैसा खर्च करने की आवश्यकता पर सवाल उठाया, "जब असली विरासत छत्रपति द्वारा बनाए गए राजसी किले हैं, तो उन्हें फिर से क्यों नहीं बनाया जाए." उन्होंने पूछा कि क्या हम आने वाली पीढ़ियों को समुद्र में एक मूर्ति सौंपना चाहते हैं.
राज ठाकरे की तल्ख टिप्पणी नासिक में धूमधाम से मनाए गए मनसे के 18वें स्थापना दिवस के अवसर पर आई है.
मनसे प्रमुख ने इस बात पर भी नाराजगी व्यक्त की कि किस तरह से समाज को 'जाति के आधार पर' विभाजित किया जा रहा है और ऐसे वादे किए जा रहे हैं जिन्हें पूरा नहीं किया जा सकता, जैसा कि मराठा समुदाय के मामले में हुआ.
राज ठाकरे ने कहा, “जब मैं (शिवबा संगठन नेता) मनोज जरांगे-पाटिल से मिला, तो मैंने उन्हें स्पष्ट रूप से बताया कि वह जो (कोटा) मांग रहे थे, वह संसद, सुप्रीम कोर्ट इत्यादि जैसे विभिन्न कारणों की वजह से सवाल से परे है. इसे देने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता है. एक समुदाय पूरे भारत में विभिन्न समूहों को समान रूप से भड़का देगा.''
शिव सेना (यूबीटी) के अध्यक्ष और पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे के चचेरे भाई ने कहा कि "हमें एक नया महाराष्ट्र बनाना है जिसमें जाति, समुदाय के आधार पर विभाजन के जहर के लिए कोई जगह न हो" और मनसे कार्यकर्ताओं से ऐसी प्रथाओं से हमेशा दूर रहने का आह्वान किया.
राज ठाकरे ने गरजते हुए कहा, “गुमराह मत होइए. वे कोटा जैसी चीज़ों पर आश्वासन दे रहे हैं जो संभव नहीं है, लेकिन जनता के लिए शिक्षा और युवाओं के लिए नौकरियों जैसे वास्तविक मुद्दों की अनदेखी कर रहे हैं. यहां सभी लोगों को शिक्षा और नौकरियां प्रदान करना संभव है. लेकिन मराठी कभी एकजुट नहीं होते हैं, इसलिए उनका शोषण किया जाता है, उनके वोट विभाजित हो जाते हैं और वे विषाक्त जाति-संबंधित राजनीति का सहारा लेते हैं.”
कई लोगों के इस संदेह का जवाब देते हुए कि पार्टी सत्ता प्राप्त करने के मामले में बड़ी उपलब्धि क्यों नहीं हासिल कर पाई है, मनसे नेता ने बड़ी समझदारी से कहा कि राजनीति में सफल होने के लिए धैर्य की जरूरत है और कसम खाई कि "मैं आपको सफलता (सत्ता) दूंगा."
उन्होंने जनसंघ, फिर भाजपा का उदाहरण दिया, जिसने कई दशकों तक काम किया और अंतत: अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में सत्ता का स्वाद चखा, जो 13 दिन, फिर 13 महीने और फिर पूरे पांच साल के कार्यकाल के लिए प्रधानमंत्री बने. इसके बाद पीएम मोदी की सरकार आई जो 2014 से 10 साल तक चली.
राज ठाकरे ने दावा किया कि आजादी के बाद से, महाराष्ट्र ने केवल तीन वास्तविक जमीनी स्तर की पार्टियाँ देखी हैं - जनसंघ, फिर उनके चाचा बालासाहेब ठाकरे द्वारा स्थापित शिवसेना और फिर मनसे.
राज ठाकरे ने तर्क दिया, “इतने सारे उतार-चढ़ाव – ज्यादातर उतार – देखने के बावजूद आप सभी मजबूती से मेरे साथ खड़े रहे हैं… मैं वादा करता हूं कि हम सफल होंगे. मैं जहां भी जाता हूँ, लोग रुकते हैं और मुझसे कहते हैं कि अब उन्हें सिर्फ मुझ पर भरोसा है. कृपया धैर्य रखें.”
राज ठाकरे ने उन पर आंदोलन बीच में छोड़ने का आरोप लगाने के लिए मीडिया पर भी कटाक्ष किया और अपने सभी 'धर्मयुद्धों' का जिक्र किया जो तार्किक अंत तक पहुँचे, और कहा कि वह सत्ता में आने के बाद एक साथ कई और काम करेंगे.
उन्होंने घोषणा की कि वह 9 अप्रैल को मराठी नव वर्ष गुड़ी पड़वा के अवसर पर मुंबई में आगामी मेगा-रैली में अपने मन की कई और बातें बताएंगे.