'PM मोदी चुनावी चंदे के लिए देश का हर संसाधन बेच देंगे', इलेक्टोरल बॉन्ड पर राहुल गांधी ने साधा निशाना
(Photo : X)

इलेक्टोरल बॉन्ड के मुद्दे पर सबसे बड़ी बहस इस बात पर थी कि इस बॉन्ड के जरिए किसी राजनीतिक दल को मिलने वाले चंदे की जानकारी आम लोगों को मिलनी चाहिए या नहीं. सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड सूचना के अधिकार का उल्लंघन है. कोर्ट ने माना है कि वोटर्स को चंदा देने वालों की जानकारी होनी चाहिए.

राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर साधा निशाना

सप्रीम कोर्ट को आदेश के बाज इलेक्टोरल बॉन्ड के आकड़े सामने आ गए हैं, जिसमें सबसे ज्यादा चंदा पाने वाली पार्टी बीजेपी है. इसी बीच राहुल गांधी ने इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा है.

राहुल गांधी ने X पर पोस्ट किया- 

सस्ते में एयरपोर्ट बेचो,

इलेक्टोरल बॉन्ड्स लो.

सस्ते में माईन्स बेचो,

इलेक्टोरल बॉन्ड्स लो.

सस्ते में ज़मीन बेचो,

इलेक्टोरल बॉन्ड्स लो.

‘मैं देश नहीं बिकने दूंगा’ का नारा देने वाले नरेंद्र मोदी चुनावी चंदे के लिए देश का हर संसाधन बेचने को तैयार हैं. मगर किसान अपनी फसल पर न्यूनतम समर्थन मूल्य भी न मांगे, क्योंकि किसान इलेक्टोरल बॉन्ड्स नहीं देता है. अजीब विडंबना है.'

इलेक्टोरल बॉन्ड क्या होता है?

इलेक्टोरल बॉन्ड भारत में राजनीतिक दलों को चंदा देने का एक तरीका है. यह एक तरह का बांड होता है जो बैंक द्वारा जारी किया जाता है और इसे राजनीतिक दलों को दान के रूप में दिया जा सकता है.

इसे कैसे काम करता है:

  • इलेक्टोरल बॉन्ड ₹1,000, ₹10,000, ₹1 लाख, ₹10 लाख और ₹1 करोड़ के मूल्यवर्ग में उपलब्ध होते हैं.
  • इन्हें SBI की 29 शाखाओं से खरीदा जा सकता है.
  • कोई भी व्यक्ति या कंपनी इन बॉन्ड को खरीद सकती है और अपनी पसंद के राजनीतिक दल को दान कर सकती है.
  • दान करने वाला व्यक्ति या कंपनी का नाम गोपनीय रखा जाता है.
  • राजनीतिक दल इन बॉन्ड को बैंक में जमा कर सकते हैं और पैसे प्राप्त कर सकते हैं.

15 फरवरी 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को असंवैधानिक करार दिया.