नई दिल्ली. सर्वोच्च न्यायालय ने राफेल सौदे में दाखिल समीक्षा याचिकाओं पर सुनवाई सोमवार को यह कहते हुए स्थगित कर दी कि समीक्षा याचिकाओं और राहुल गांधी द्वारा 'चौकीदार चोर है' टिप्पणी को शीर्ष अदालत से जोड़ने के खिलाफ अवमानना मामले पर एक साथ 10 मई को सुनवाई की जाएगी। मजेदार बात यह कि अदालत ने यह निर्देश यह जानने के बाद दिया कि राहुल गांधी के खिलाफ अवमानना मामले में सुनवाई अलग कर दी गई है।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, "हम थोड़ा हैरान हैं कि दो मामलों (राहुल के अवमानना और राफेल संबंधी मामले) को अलग कर दिया गया है।" यह भी पढ़े-राफेल मामले में केंद्र सरकार का जवाबी हलफनामा, कहा- सही है 2018 का फैसला, खारिज हों पुनर्विचार याचिकाएं
न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा कि अदालत समीक्षा याचिकाओं पर सुनवाई 10 मई को निश्चित रूप से पूरा करना चाहती है। गोगोई सहित न्यायमूर्ति के.एम. जोसेफ और न्यायमूर्ति एस.के. कौल की सदस्यता वाली पीठ ने कहा कि दोनों मामलों की सुनवाई एक साथ होनी चाहिए।
सर्वोच्च न्यायालय में 10 मई के बाद ग्रीष्मावकाश होना है। गोगोई ने अदालत के समक्ष मामले को सूचीबद्ध करने के बारे में जानकारी मांगी। उन्होंने कहा, "यह कैसे संभव है, यह (राफेल समीक्षा याचिकाएं) आज आया है और दूसरा मामला 10 मई को सूचीबद्ध है?"
उन्होंने जोर देकर कहा कि दोनों मामलों पर एक साथ एक आदेश है। उन्होंने पूछा, "फिर इसे आज सूचीबद्ध क्यों किया गया है?"
राफेल मामले में इन याचिकाओं को पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने दायर किए हैं। ये सभी शीर्ष अदालत के 14 दिसंबर के आदेश की समीक्षा की मांग कर रहे हैं। अदालत ने 14 दिसंबर के अपने आदेश में राफेल सौदे में कथित अनियमितताओं की जांच की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया था।
केंद्र सरकार ने अपने हाल के हलफनामे में 14 दिसंबर के फैसले की समीक्षा का विरोध किया है, और कहा है कि राफेल सौदे में प्रत्यक्ष तौर पर कोई गलती नहीं हुई है।