राफेल डील (Rafale Deal) को लेकर दाखिल पुनर्विचार याचिकाओं पर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में जवाबी हलफनामा दाखिल कर दिया है. ताजा हलफनामा दाखिल कर सरकार ने पुनर्विचार याचिका पर आगे सुनवाई का विरोध किया है. केंद्र ने हलफनामे में कहा है कि पुनर्विचार याचिकाओं पर आगे की सुनवाई का कोई आधार नहीं हैं, ऐसे में सभी याचिकाएं खारिज की जानी चाहिए. हलफनामे में केंद्र सरकार ने कहा कि सुरक्षा संबंधी गोपनीय दस्तावेजों के इस तरह सार्वजनिक खुलासे से देश के आस्तित्व पर खतरा है.
हलफनामे में केंद्र का कहना है कि इस अतंर सरकारी सौदे की प्रगति की प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा निगरानी किए जाने को राफेल सौदे में दखल या सामानांतर बातचीत नहीं माना जा सकता है. उस समय के रक्षामंत्री ने फाइल में रिकॉर्ड किया था कि ऐसा प्रतीत होता है कि पीएमओ और फ्रांसीसी राष्ट्रपति का कार्यालय उन मुद्दों की प्रगति की निगरानी कर रहा है जो शिखर बैठक का एक परिणाम था.
Centre files fresh affidavits in Rafale review case in SC saying- the Dec 14, 2018 judgement upholding 36 Rafale jets' deal was correct and unsubstantiated media reports and/or part internal file notings deliberately projected in a selective manner cannot form basis for review. pic.twitter.com/oMfFYdZltG
— ANI (@ANI) May 4, 2019
हलफनामे में सरकार ने ये भी कहा है कि राफेल पुनर्विचार याचिकाओं के जरिए सौदे की चलती-फिरती जांच की कोशिश की गई. मीडिया में छपे तीन आर्टिकल लोगों के विचार हैं ना कि सरकार का अंतिम फैसला. ये तीन लेख सरकार के पूरे आधिकारिक रुख को व्यक्त नहीं करते हैं. सरकार ने यह भी कहा है कि सीएजी ने राफेल के मूल्य संबंधी जानकारियों की जांच की है और यह 2.86% कम है.
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सरकार ने हलफनामे में कैग की रिपोर्ट को भी भरोसा करने का आधार बताया है. सरकार की ओर से कहा गया है कि अपुष्ट मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर किए गए संप्रभु निर्णयों पर सवाल नहीं उठा सकते हैं. केंद्र सरकार ने हलफनामे में दोहराया है कि भारत को सस्ती कीमत पर राफेल विमान मिले हैं. सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि व्यक्तिगत धारणा जांच का आधार नहीं हो सकती है. साथ ही इसे लेकर किसी भी एफआईआर का आदेश नहीं दिया जा सकता है.
बता दें कि दिसंबर के अपने फैसले में अदालत ने कहा था कि वर्तमान जैसे मामलों में मूल्य निर्धारण विवरण की तुलना करना इस अदालत का काम नहीं है. अब कोर्ट इस मामले में 6 मई को सुनवाई करेगा.