नई दिल्ली, 2 अक्टूबर: कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने नए कृषि कानूनों पर प्रधान मंत्री पर निशाना साधा है. एक वीडियो बयान में, सोनिया गांधी ने शुक्रवार को कहा कि प्रधानमंत्री काले कानूनों को लागू करके किसानों के साथ घोर अन्याय कर रहे हैं. महात्मा गांधी (Mahatama Gandhi) की जयंती पर, सोनिया गांधी ने गांधी और लाल बहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shastri) दोनों को याद किया और कहा कि भारत की आत्मा गांवों में बसती है, जबकि शास्त्री ने 'जय जवान, किसान किसान' का नारा दिया था.
उन्होंने कहा, आज देश के प्रधान मंत्री हमारे अन्नदाता किसानों पर घोर अन्याय कर रहे हैं. उनके साथ नाइंसाफी कर रहे हैं, जो किसानों के लिए कानून बनाए गए, उनके बारे में उनसे सलाह मशविरा तक नहीं किया गया. बात तक नहीं की गई, यही नहीं उनके हितों को नजरअंदाज करके सिर्फ चंद दोस्तों से बात करके किसान विरोधी तीन काले कानून बना दिए गए.
आज किसानों, मज़दूरों के सबसे बड़े हमदर्द महात्मा गांधी की जयंती है, गांधी जी कहते थे कि भारत की आत्मा भारत के गांव, खेत और खलिहान में बसती है। आज 'जय-जवान, जय किसान' का नारा देने वाले पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की भी जयंती है: कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी pic.twitter.com/oZ5pHjMBoJ
— ANI_HindiNews (@AHindinews) October 2, 2020
सोनिया गांधी ने कहा कि उनकी पार्टी इन कानूनों का तब तक विरोध करती रहेगी, जब तक इन्हें हटा नहीं लिया जाता. उन्होंने कृषि उपज मंडी समिति एक्ट (एपीएमसी) हटाने के लिए सरकार पर हमला बोला. सोनिया गांधी ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान जरूरतमंदों को मु़फ्त में अनाज किसानों की मेहनत के चलते मिला. उन्होंने कहा, आज जब अनाज मंडियां खत्म कर दी जाएंगी, जमाखोरों को अनाज जमा करने की खुली छूट दी जाएगी और किसान भाइयों की जमीनें खेती के लिए पूंजीपतियों को सौंप दी जाएंगी, तो करोड़ों छोटे किसानों की रक्षा कौन करेगा?
देशभर में कृषि कानूनों के खिलाफ कांग्रेस पार्टी शुक्रवार को विरोध प्रदर्शन कर रही है. पार्टी के सूत्रों ने गुरुवार को कहा कि राहुल गांधी पंजाब में 3 से 5 अक्टूबर तक ट्रैक्टर रैली करेंगे. पंजाब मामलों के प्रभारी और कांग्रेस महासचिव हरीश रावत और प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ के साथ पंजाब के सभी मंत्री और कांग्रेस विधायक विरोध प्रदर्शन रैलियों में भाग लेंगे. पार्टी ने कहा कि विरोध प्रदर्शन और किसानों के दर्द को आवाज देना है, जिसकी आजीविका और भविष्य को केंद्रीय कानून द्वारा दांव पर लगा दिया गया है.