PM Narendra Modi ने कहा- भारत में है 'चैलेंज' को चैलेंज करने का जज्बा

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने गुरुवार को तीसरे अमरीका-भारत साझेदारी फोरम के शिखर सम्‍मेलन को संबोधित किया और दुनिया भर के निवेशकों को भारत में निवेश के लिए आमंत्रित किया. उन्होंने कहा कि भारत में ढेर सारे अवसर हैं और भारत में आज जो सरकार है, वो परिणाम देने में विश्‍वास रखती है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Photo Credits: ANI)

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने गुरुवार को तीसरे अमरीका-भारत साझेदारी फोरम के शिखर सम्‍मेलन को संबोधित किया और दुनिया भर के निवेशकों को भारत में निवेश के लिए आमंत्रित किया. उन्होंने कहा कि भारत में ढेर सारे अवसर हैं और भारत में आज जो सरकार है, वो परिणाम देने में विश्‍वास रखती है. उन्‍होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत का लक्ष्‍य है, कि वो अपनी जरूरतों को पूरी करने के साथ-साथ विश्‍व की जरूरतों को भी पूरा करे. कोविड काल का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि भारत वो देश है, जिसके अंदर चैलेंज को चैलेंज करने का जज़्बा है.

प्रस्‍तुत हैं पीएम मोदी के संबोधन के मुख्‍य अंश:

पीएम मोदी ने कहा-

USISPF के कार्य भारत-अमेरिका को करीब लाने का काम कर रहे हैं, यह वास्तव में सराहनीय है. इस वर्ष का थीम बहुत प्रासंगिक है- "Navigating New Challenges".जब वर्ष 2020 शुरू हुआ तब क्या किसी ने सोचा था कि इस तरह की परिस्थितियां बनेंगी.

वैश्विक महामारी ने हर किसी को प्रभावित किया है. यह हमारे reseiliance, हमारे पब्लिक हेल्‍थ सिस्‍टम हमारे इक्‍नॉमिक सिस्‍टम की परीक्षा है.

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वर्तमान परिस्‍थतियां फ्रेश माइंडसेट की डिमांड कर रही हैं. ऐसा माइंडसेट, जहां विकास के प्रति सोच मानवता को ध्‍यान में रखती हो. जहां हर किसी के बीच समन्‍वय का जज्बा हो.

भविष्‍य को देखते हुए हमारा फोकस अपनी क्षमता को बढ़ाने पर होना चाहिए. हमारा फोकस गरीबों को हर तरह की सुरक्षा प्रदान करने पर और, नागरिकों के भविष्‍य को सुरक्षित बनाने पर होना चाहिए. यही वो पथ है, जिस पर भारत चल रहा है.

भारत उन देशों में से एक है, जिन्‍होंने सबसे पहले कोविड से लड़ने के लिए लॉकडाउन का रिस्‍पॉनसिव सिस्‍टम (responsive system) तैयार किया. भारत उन देशों में से एक है, जिन्‍होंने सबसे पहले पब्लिक हेल्‍थ का ध्‍यान रखते हुए मास्क और मुंह को कवर करने पर जोर दिया.

सोशल डिस्‍टेंसिंग (social distancing) के प्रति पब्लिक अवेयरनेस कैम्‍पेन (public awareness campaign) चलाने वालों में हम सबसे पहले देशों में से एक हैं.

बहुत कम समय में हमने मेडिकल इंफ्रास्‍ट्रक्चर (medical infrastructure) को तेजी से बढ़ाया, चाहे वो कोविड अस्‍पताल हों, आईसीयू, या कुछ भी. जनवरी में हमारे पास एक टेस्टिंग लैब था, आज देश भर में 1600 के करीब कोविड टेस्टिंग लैब हैं.

मेडिकल इंफ्रास्‍ट्रक्चर (medical infrastructure) के क्षेत्र में किए गए प्रयासों के परिणाम ही हैं, कि 1.3 बिलियन की आबादी वाला देश, जहां पर समित संसाधन हैं, वहां प्रति मिलियन सबसे कम डेथ रेट है. रिकवरी रेट भी लगातार बढ़ रहा है.

मुझे खुशी है कि हमारे यहां देश में व्‍यापार जगत के लोग, खास कर छोटे उद्योग से जुड़े लोग, बहुत प्रो-एक्टिव (proactive) हैं. पीपीई किट के क्षेत्र में हम कहीं नहीं थे, आज हम इसके विनिर्माण में दुनिया में दूसरे स्‍थान पर हैं. इससे चैलेंज (Challange) को चैलेंज करने की भारत के जज़्बे का पता चलता है.

पिछले कुछ महीनों से राष्‍ट्र कोविड के साथ-साथ प्राकृतिक आपदाओं से भी लड़ रहा है, बाढ़, लोकस्‍ट अटैक, एक के बाद एक, दो चक्रवात... इन सबके बीच हमारे देश के लोग और मजबूत होते गए.

कोविड काल, लॉकडाउन में भारत सरकार एक बात पर स्‍पष्‍ट रही, कि गरीबों को सुरक्षा देनी है. पूरे विश्‍व में पीएम गरीब कल्याण योजना सबसे बड़ी योजनाओं में से एक है, 800 मिलियन लोगों, यानी कि अमेरिका की जनसंख्‍या के दुगने से अधिक लोगों को मुफ्त अनाज दिया गया. यह योजना 8 माह तक चली.

इस दौरान 80 मिलियन परिवारों को मुफ्त रसोई गैस, 345 किसानों, जरूरतमंदों को कैश सपोर्ट, 200 मिलियन व्‍यक्ति दिवस कार्य देकर प्रवासी श्रमिकों को रोजगार दिया गया.

महामारी ने कई सारी चीजों को प्रभावित किया, लेकिन यह 130 करोड़ भारतीयों की महत्वाकांक्षा और लक्ष्‍यों को प्रभावित नहीं कर सकी.

दुनिया के सबसे बड़े हाउसिंग प्रोग्राम पर काम चल रहा है, अक्षय ऊर्जा और इंफ्रास्‍ट्रक्चर का विस्‍तार तेजी से हो रहा है, रेल, रोड और एयर कनेक्टिविटी को बूस्‍ट किया जा रहा है.

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नेशनल डिजिटल हेल्‍थ मिशन के लिए हमारा देश एक यूनीक डिजिटल मॉडल तैयार कर रहा है, करोड़ों लोगों को बैंकिंग क्रेडिट, डिजिटल पेमेंट, इंश्‍योरेंस, आदि मुहैया कराने के लिए सर्वोत्तम फि‍नटेक का इस्‍तेमाल कर रहे हैं.

इन सभी initiatives में विश्‍वस्तरीय टेक्नोलॉजी और ग्लोबल बेस्‍ड प्रैक्टिसेस (global bases practices) का उपयोग हो रहा है.

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