नई दिल्ली: भारतीय राजनीति में एक ऐतिहासिक कदम बढ़ाते हुए केंद्र सरकार ने 'एक देश, एक चुनाव' बिल को मंजूरी दे दी है. इस बिल को कैबिनेट द्वारा आज (गुरुवार) अनुमोदित किया गया, और सूत्रों के अनुसार, यह बिल संसद के वर्तमान शीतकालीन सत्र में पेश किया जा सकता है.
यह कदम ऐसे समय में आया है जब सरकार ने उच्च-स्तरीय समिति की सिफारिशों को मंजूरी दी है, जिसे पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने अध्यक्षता की थी. समिति ने लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के चुनावों को एक साथ आयोजित करने की सिफारिश की है, और यह प्रक्रिया चरणबद्ध तरीके से लागू की जाएगी.
सरकार का मानना है कि एक साथ चुनाव कराने से चुनावी खर्चों में कमी आएगी और चुनावी प्रक्रिया को सरल बनाया जा सकेगा. इस कदम से राजनीतिक दलों को भी फायदा हो सकता है, क्योंकि वे चुनावों के लिए अधिक ध्यान केंद्रित कर सकेंगे. हालांकि, इस पहल को लेकर विपक्षी दलों के बीच चिंताएँ भी हैं, जो इसे लोकतंत्र की प्रक्रिया को प्रभावित करने के रूप में देख रहे हैं.
Union Cabinet has approved 'One Nation One Election' Bill: Sources pic.twitter.com/uAsIyjNcCv
— ANI (@ANI) December 12, 2024
भारत में वन नेशन-वन इलेक्शन का मतलब है कि संसद के निचले सदन यानी लोकसभा चुनाव के साथ ही सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव भी कराए जाएं. इसके साथ ही स्थानीय निकायों यानी नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायत और ग्राम पंचायतों के चुनाव भी हों. इसके पीछे विचार है कि ये चुनाव एक ही दिन या फिर एक निश्चित समय सीमा में कराए जा सकते हैं. कई सालों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा चुनाव के साथ ही राज्यों की विधानसभाओं का चुनाव कराने पर जोर देते रहे हैं.
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि संसद में इस बिल पर किस प्रकार की चर्चा होती है और क्या इसे पास करने में कोई बड़ी अड़चन आती है. सरकार का लक्ष्य यह है कि इस प्रस्ताव को जल्द से जल्द लागू किया जाए ताकि चुनावों में होने वाली अनावश्यक देरी को रोका जा सके और राजनीतिक प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी बनाया जा सके.
'एक देश, एक चुनाव' की योजना को लेकर कई विशेषज्ञों ने इसे एक महत्वाकांक्षी कदम बताया है, जो भारत की चुनावी व्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है.