केंद्र सरकार ने अटकी परियोजनाओं में फंसे घर खरीदारों को दी बड़ी राहत, 25 हजार करोड़ रुपये के फंड की घोषणा
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अटके हाउसिंग प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के लिए 25,000 करोड़ रुपये का वैकल्पिक निवेश कोष बनाने की मंजूरी दे दी है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि इस 25,000 करोड़ रुपये के कोष के लिए सरकार, भारतीय स्टेट बैंक और एलआईसी धन उपलब्ध कराएंगी.
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अटके हाउसिंग प्रोजेक्ट्स (Housing Projects) को पूरा करने के लिए 25,000 करोड़ रुपये का वैकल्पिक निवेश कोष (Alternative Investment Fund) बनाने की मंजूरी दे दी है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने बुधवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह जानकारी दी. उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि इस 25,000 करोड़ रुपये के फंड के लिए सरकार, भारतीय स्टेट बैंक (SBI) और लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (LIC) धन उपलब्ध कराएंगी.
निर्मला सीतारमण ने कहा कि इस फंड से 4.58 लाख घरों की 1,600 आवासीय परियोजनाओं को फायदा होगा. उन्होंने स्पष्ट किया कि इस 25,000 करोड़ रुपये के फंड से अटकी परियोजनाओं के लिए चरणबद्ध तरीके से धन उपलब्ध कराया जाएगा. चरण पूरा होने के बाद राशि जारी की जाएगी. यह भी पढ़ें- केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बयान, कहा- IMF के अनुमान के बावजूद भारत सबसे तेजी से विकसित होती अर्थव्यवस्थाओं में शामिल.
उन्होंने कहा कि नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स (NPA) बन चुकी आवासीय परियोजनाएं या फिर दिवाला समाधान के लिए राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (NCLT) में भेजी जा चुकी आवासीय परियोजनाओं के लिए भी इस फंड से धन लिया जा सकेगा. निर्मला सीतारमण ने स्पष्ट किया कि इस फंड के तहत केवल रेरा (RERA) में पंजीकृत परियोजनाओं पर ही विचार किया जायेगा.उन्होंने कहा कि यह एक उदाहरण है कि सरकार विभिन्न समस्याओं को लेकर कितनी गंभीर है. सरकार ज्यादा से ज्यादा घर खरीदारों की समस्याओं को दूर करने का प्रयास कर रही है.
निर्मला सीतारमण ने कहा कि नकदी की तंगी से जूझ रही व्यवहारिक परियोजनाओं को ही इस कोष से धन उपलब्ध कराया जायेगा. ‘परियोजना यदि शुरू ही नहीं हुई है तो ऐसी परियोजना को इस कोष से कोई राहत नहीं मिलेगी. मान लीजिये यदि किसी परियोजना में तीन टावर बनने हैं, उसमें एक टावर में 50 प्रतिशत काम हुआ है, दूसरे में 30 प्रतिशत और तीसरे में कोई ही काम नहीं हुआ है, तो हम सबसे पहले 50 प्रतिशत पूरी हुई परियोजना को कोष उपलब्ध करायेंगे.’
सरकार की इस पहल से न केवल अर्थव्यवस्था में रोजगार पैदा होंगे बल्कि सीमेंट, लोहा और इस्पात उद्योग की भी मांग बढ़ेगी. इस फैसले का उद्देश्य अर्थव्यवस्था के इस प्रमुख क्षेत्र पर बने दबाव से उसे राहत पहुंचाना भी है. उन्होंने कहा कि इस कोष का आकार बढ़ भी सकता है. सरकारी सावरेन कोषों और पेंशन कोषों के इसमें भागीदारी करने से एआईएफ का आकार बढ़ सकता है.
सीतारमण ने कोष के बारे में जानकारी देते हुये कहा कि परियोजना के बिल्डर को सीधे धन नहीं दिया जायेगा बल्कि एक अलग खाते (एस्क्रो) में धन रखा जायेगा जिसपर क्षेत्र के लिये गठित विशेषज्ञ समिति नजर रखेगी. समिति सुनिश्चित करेगी कि यह धन केवल परियोजनाओं को पूरा करने में ही लगे. जैसे जैसे निर्माण कार्य आगे बढ़ेगा वैसे ही राशि जारी की जायेगी. उन्होंने कहा कि विशेषज्ञ ही तय करेंगे की परियोजना कितने दिन में पूरी होगी और उसी के अनुसार वित्तपोषण किया जायेगा.
भाषा इनपुट