70 सालों तक शोषण का शिकार हुए लोगों से न्यूजीलैंड के पीएम ने मांगी माफी
न्यूजीलैंड के चर्च और राज्य के देखभाल केंद्रों में रह रहे लाखों बच्चों और वयस्कों के साथ यौन शोषण, दुर्व्यवहार, और उपेक्षा के मामले में प्रधानमंत्री ने संसद में माफी मांगी है.
न्यूजीलैंड के चर्च और राज्य के देखभाल केंद्रों में रह रहे लाखों बच्चों और वयस्कों के साथ यौन शोषण, दुर्व्यवहार, और उपेक्षा के मामले में प्रधानमंत्री ने संसद में माफी मांगी है.न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन ने हाल ही में देश की संसद में उन हजारों लोगों से माफी मांगी जिन्हें दशकों तक राज्य और चर्च की देखभाल में रहने के दौरान शारीरिक और यौन शोषण का सामना करना पड़ा था.
लक्सन ने कहा, "यह डराने वाला, दिल दहलाने वाला और गलत था." न्यूजीलैंड में राज्य और चर्च की देखभाल में रहने वाले दो लाख बच्चे और वयस्क पिछले 70 सालों में शारीरिक और यौन शोषण का शिकार हुए थे.
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अपने भाषण में लक्सन ने कहा, "आज मैं सरकार की तरफ से उन सभी लोगों से माफी मांग रहा हूं, जिन्होंने देखभाल के दौरान शारीरिक यातना और उपेक्षा का सामना किया. मैं अपनी और पिछली सरकारों की तरफ से उन सब लोगों से माफी मांगता हूं जो इस दंश को झेलने के बाद जीवित बचे हैं."
लक्सन के भाषण के दौरान इस घटना के पीड़ित लोग संसद की गैलरी में मौजूद थे.
कैसे हुआ खुलासा
1950 से 2019 तक चले इस कांड का खुलासा रॉयल कमीशन ऑफ इंक्वायरी की एक सार्वजनिक जांच के बाद हुआ.
70 सालों के दौरान न्यूजीलैंड के राज्यों और चर्च की देखभाल में रहने वाले 6.50 लाख बच्चों और वयस्कों में से लगभग एक तिहाई ने शारीरिक, मौखिक, मानसिक और यौन हिंसा का सामना किया.
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घटना की जांच के लिए गठित आयोग ने इसे 'राष्ट्रीय आपदा' की संज्ञा दी क्योंकि इसमें बच्चों के यौन शोषण, माताओं और बच्चों को जबरन अलग करने, बिना बताए नसबंदी करने और बिजली के झटके देने जैसी क्रूर यातनाएं दी गई थीं.
जांच में यह भी पाया गया कि इस घटना में नस्लवाद शामिल था, जिसके तहत माओरी लोगों को निशाना बनाया गया.
सरकार ने अब क्या कहा
सरकार ने जांच कमेटी से मिली 233 सिफारिशों पर ध्यान देने का वादा किया है. प्रधानमंत्री ने घटना का दंश झेल चुके जीवित बचे लोगों को अरबों डॉलर मुआवजा देने की बात भी कही है.
घटना की निंदा करते हुए लक्सन ने कहा, "आपमें से कई लोगों को लग सकता है कि इतने लंबे समय तक ऐसा दर्द झेलने के बाद मेरे कहे शब्दों का कोई महत्व नहीं है. लेकिन मुझे उम्मीद है कि मेरी माफी से आपका बोझ थोड़ा हल्का जरूर हो जाएगा."
एवाई/आरपी (रॉयटर्स/एएफपी)