प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi), केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah), भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा (Jagat Prakash Nadda) ने मंगलवार को जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की.
प्रधानमंत्री मोदी ने एक ट्वीट में कहा, "भारत के महान सपूत डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को श्रद्धांजलि."
मां भारती के महान सपूत डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को उनकी पुण्यतिथि पर शत-शत नमन।
— Narendra Modi (@narendramodi) June 23, 2020
शाह ने मुखर्जी के कार्यों को भी याद किया और कहा कि उन्होंने भारत की अखंडता के साथ कभी समझौता नहीं किया और देश के लिए अपना जीवन लगा दिया. ट्वीट्स की एक श्रृंखला में शाह ने कहा, "मुखर्जी, एक नायक थे जो न केवल देश की स्वतंत्रता बल्कि देश की अखंडता के लिए भी लड़े और अपना जीवन लगा दिया. बंगाल और जम्मू-कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग बनाए रखने के लिए उनका तप और संघर्ष प्रशंसनीय है." यह भी पढ़े: Jagannath Rath Yatra 2020: जानें सुप्रीम कोर्ट से रोक हटने पर क्या बोले गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा?
डॉ. मुखर्जी जी ने देश व देशवासियों के हितों से समझौता ना करते हुए सरकार से इस्तीफा देने में भी क्षण भर नहीं लगाया। राष्ट्र व विचारधारा समर्पित उनका जीवन मेरे जैसे करोड़ों कार्यकर्ताओं व देशवासियों को सदैव प्रेरित करता रहेगा। राष्ट्रीय अस्मिता के ऐसे अद्वितीय प्रतीक को सादर नमन।
— Amit Shah (@AmitShah) June 23, 2020
शाह ने एक अन्य ट्वीट में कहा, "उन्होंने लोगों और देश के हित के साथ समझौता किए बिना सरकार से इस्तीफा देने में समय नहीं लिया. उनका जीवन और कार्य मेरे जैसे करोड़ों लोगों को प्रेरित करेगा."
नड्डा ने भी ट्विटर पर लिखा, "मुखर्जी को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि. जिन्होंने एक राष्ट्र, दो संविधान का विरोध किया और जम्मू और कश्मीर के सर्वांगीण विकास के लिए अनुच्छेद 370 और 35ए के उन्मूलन के लिए हमारे प्रेरणा स्रोत बने."
'एक देश में दो विधान, दो निशान, दो प्रधान नहीं चलेंगे' का नारा देकर जम्मू-कश्मीर के सर्वांगीण विकास हेतु धारा 370 और 35A को समाप्त करने की प्रेरणा का बीजारोपण करने वाले जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी के बलिदान दिवस पर उन्हें कोटि-कोटि नमन। pic.twitter.com/xNsMXnVu67
— Jagat Prakash Nadda (@JPNadda) June 23, 2020
मुखर्जी स्वतंत्र भारत में कांग्रेस पार्टी के एक कठोर आलोचक के रूप में जाने जाते थे. वे धारा 370 और 35ए के खिलाफ थे. उन्होंने ही भारतीय जनसंघ की स्थापना की जो बाद में भाजपा बन गई।