नागरिकता संशोधन अधिनियम (Citizenship Amendment Bill) 2019 के विरोध के चलते केरल में मंगलवार को लगभग 33 संगठनों द्वारा राज्यव्यापी बंद का आह्वान किया गया और इसी के मद्देनजर पुलिस ने राज्य के विभिन्न हिस्सों से लगभग सौ लोगों को एहतियातन हिरासत में ले लिया है. प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने वाले प्रशासन ने शिक्षण संस्थानों में छुट्टी के आदेश नहीं दिए हैं.
यहां कुछ छोटे राजनीतिक दलों द्वारा इस बंद का आह्वान किया गया, जिनका केरल विधानसभा में कोई प्रतिनिधित्व नहीं है. हालांकि यहां की ज्यादातर दुकानों और सार्वजनिक वाहनों पर इस बंद का कोई खास असर देखने को नहीं मिला, लेकिन कन्नूर, कासरगोड, पलक्कड़ जैसे जिलों और एर्नाकुलम के कुछ हिस्सों में प्रदर्शनकारियों ने सार्वजनिक परिवहन को अवरुद्ध किया और दुकानों को जबरदस्ती बंद कराया.
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प्रभावित जिलों के कुछ स्थानों पर पुलिस और प्रदर्शनकारियों का आमना-सामना हुआ और पुलिस ने लगभग दो दर्जन प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया. प्रभावित जिलों में सड़कों पर ज्यादातर निजी वाहन देखे गए. राज्य की राजधानी में आम जनजीवन भले ही प्रभावित नहीं है, लेकिन बसों पर पत्थरबाजी की कुछ घटनाएं सामने आई हैं.
जिन राजनीतिक दलों ने बंद बुलाया है, उनमें सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) और वेलफेयर पार्टी शामिल हैं और जिन स्थानों पर इन राजनीतिक दलों की ताकत कुछ ज्यादा है, वहां इस प्रदर्शन को सफल बनाने के लिए पार्टी कार्यकर्ता सड़कों पर उतर गए.
इस बीच, केरल राज्य के पुलिस प्रमुख लोकनाथ बेहरा ने प्रदर्शनकारियों को चेतावनी दी और कहा कि बंद का आह्वान केरल उच्च न्यायालय के फैसले का पालन नहीं करता है, जिसमें कहा गया है कि बंद बुलाने के लिए सात दिन का नोटिस दिया जाना चाहिए, अन्यथा यह गैर-कानूनी है और इसके लिए संगठनों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.